जयपुर। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चल रही कवायद के बीच अब राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी रायशुमारी का दौर शुरू हो चुका है। पहले माना जा रहा था कि अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद फिर मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर रायशुमारी होगी लेकिन अब बदली परिस्थितियों में पार्टी आलाकमान ने राजस्थान कांग्रेस के विधायक दल की बैठक बुलाकर कई सियासी संकेत दे दिए हैं। पार्टी आलाकमान के निर्देश पर आज शाम मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई गई है, बैठक में निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को भी शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल होंगे और बताया जाता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी आलाकमान की ओर से पर्यवेक्षक की भूमिका के तौर पर जयपुर आ रहे हैं।
आलाकमान पर छोड़ा जा सकता है मुख्यमंत्री चयन का फैसला
विश्वस्त सूत्रों की माने तो भले ही आज होने वाली बैठक मैं मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर रायशुमारी की बात कही जा रही हो लेकिन माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन पार्टी आलाकमान का कोई संदेश लेकर जयपुर पहुंचेंगे और संदेश से विधायकों को अवगत करवाएंगे जिसके बाद एक सिंगल लाइन का प्रस्ताव लाकर मुख्यमंत्री चयन का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित हो सकता है। वैसे भी पार्टी के अधिकांश विधायकों का मानना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी आलाकमान जो फैसला लेंगे वो उनके साथ हैं।
आलाकमान पर फैसला छोड़ने की एक वजह यह भी
पार्टी के जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री चयन का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ जाने का प्रस्ताव इसीलिए भी लाया जा सकता है, चूंकि अगर बैठक में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर विधायकों से रायशुमारी की गई तो अधिकांश विधायक सीएम गहलोत के खेमे के माने जाते हैं और प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मलिकार्जुन खरगे के समक्ष अपनी पसंद के मुख्यमंत्री का नाम का सुझाव दे सकते हैं। ऐसे में फिर सचिन पायलट के नाम पर पेच फंस जाएगा, चूंकि उनके पास विधायकों का पर्याप्त समर्थन नहीं रहेगा।
नामांकन से पहले हो सकता है मुख्यमंत्री का इस्तीफा
कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि जिस तरह से आनन-फानन में पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है, उससे साफ है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामांकन से पहले ही अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा हो सकता है।
गहलोत समर्थकों ने की थी मुख्यमंत्री का चेहरा बरकरार रखने की मांग
इससे पहले शनिवार को दिनभर अशोक गहलोत समर्थक नेताओं ने मुख्यमंत्री का चेहरा बरकरार रखने की मांग की थी। कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल, परसादी लाल मीणा, प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक जोगिंदर अवाना, सुभाष गर्ग और संयम लोढ़ा ने भी अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बरकरार रखने की मांग की थी और कहा था कि अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा सकते हैं।
विधायक दल की बैठक बुलाने के पीछे यह भी मंशा
इधर पार्टी सूत्रों की माने तो विधायक दल की बैठक बुलाने की एक वजह यह भी है कि अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित होते हैं तो फिर वो ही आलाकमान बन जाएंगे। ऐसे में अशोक गहलोत का फैसला ही सर्वमान्य होगा। मुख्यमंत्री चयन में भी अशोक गहलोत की ही चलेगी। इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का नामांकन दाखिल करने से पहले कांग्रेस आलाकमान ने विधायक दल की बैठक बुलाकर विधायकों को संदेश देने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू हो गई है, 30 सितंबर नामांकन की अंतिम तिथि है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 28 से 29 सितंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे।