जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार मुहिम छेड़े हुए हैं लेकिन अफसोस की बात यह है कि पकड़े गए ।
भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति अर्थात मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलने से करीब 610 मामले अभी भी लंबित है इनमें सबसे ज्यादा मामले पंचायती राज विभाग के तथा स्वशासन विभाग के हैं और अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की पौ बारह हो रही है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा पकड़े गए भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति अर्थात के चलाने की मंजूरी उस अधिकारी और कर्मचारी का विभाग देता है लेकिन स्थिति यह है कि विभाग द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लंबे समय तक मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं देते हैं।
ऐसी स्थिति में भ्रष्टाचार का केस कमजोर पड़ जाता है और इसका फायदा आरोपी को मिलता है कोर्ट भी तय समय में केस चलाने की मंजूरी देने पर आदेश दे चुका है लेकिन अभी भी स्थिति वही की वही बनी हुई है इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भ्रष्टाचार के मामलों में 610 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति अर्थात के चलाने की मंजूरी के मामले अटके हुए हैं और 51 विभागों में यह 610 मामले हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार सर्वाधिक 110 मामले पंचायती राज विभाग में और उसके बाद 107 मामले में शासन विभाग के हैं तथा इसके बाद राजस्व विभाग में 44 पीडब्ल्यूडी में 33 स्वास्थ्य विभाग में 30 पुलिस विभाग में 28 परिवहन विभाग में 26 खनिज विभाग में अट्ठारह यूडीएच विभाग में 17 महिला एवं बाल विकास विभाग में 15 कृषि विभाग में 14 मामले अभी भी लंबित हैं जिनमें विभागों को आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति अर्थात केस चलाने की मंजूरी देना बाकी है।
उधर दूसरी और ऐसी स्थिति सरकार के संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी हाल ही में सरकार के 4 साल के कामकाज और आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के दौरान निर्णय लिया कि अब भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज होने के पश्चात उस पर केस चलाने का फैसला करने के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी
और यही कमेटी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज मामलों में केस चलाने अभियोजन स्वीकृति की मंजूरी देने का नहीं देने का निर्णय करेगी यही नहीं इस चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा घूस लेते हुए गिरफ्तार हुए भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस चलाने की मंजूरी देने में भी अब विभागों की मनमानी खत्म कर दी जाएगी।
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