जयपुर
झोटवाड़ा में चल रहा घूस का खेल एसीपी आस मोहम्मद के इशारे पर चल रहा था। बुधवार रात झोटवाड़ा एसएचओ के रीडर और दलाल सहित एक पीपी को ब्यूरो ने गिरफ्तार किया तो सर्किल मुखिया के कारनामों की परतें खुलने लगी हैं। एसीबी पूरे खेल के मास्टर माइण्ड तक पहुंचती उससे पहले कार्रवाई लीक हो गई,जिससे वह घर में रखे घूस के सबूत मिटाने में कामयाब हो गया। ब्यूरो टीम को थोड़ा वक्त मिलता तो आस मोहम्मद के घर से भारी रकम सहित अन्य साक्ष्य बरामद हो सकते थे। एसीबी ने गुरुवार को तीनों आरोपियों को अदालत में पेश किया जहां से पीपी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजकर दलाल और रीडर को रिमाण्ड पर लिया है।
ब्यूरो की टीमें फरार एसीपी और एसएचओ सहित कुछ अन्य संदिग्धों को दबोचने के लिए दबिश दे रही हैं।
गौरतलब है कि ब्यूरो के एडिशनल एसपी नरोत्तमलाल वर्मा के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में झोटवाड़ा एसएचओ प्रदीप चारण के रीडर बत्तू खां, चौमूं निवासी दलाल सुमंत सिंह और पीपी चन्द्रभान जोशी को घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। घूस की रकम 1 लाख रुपए परिवादी राजवीर गंगानगर से ली गई थी। मामला धोखाधड़ी से जुड़ा था जिसमें परिवादी ने एक व्यक्ति के खिलाफ 36 लाख रुपए की ठगी करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दूसरी ओर परिवादी के खिलाफ भी थाने में मामला दर्ज था। एसएचओ के रीडर ने ठगी की रकम निकलवाने के एवज में 10 प्रतिशत हिस्सा मांगा था मगर सौदा ढाई लाख रुपए में तय हुआ। पहले भी पुलिसकर्मी उससे तीन लाख रुपए ले चुके थे। रिश्वत परिवादी के मामले में कार्रवाई करने और उसके खिलाफ दर्ज प्रकरण को कमजोर करने के एवज में मांगी गई थी।
गिरफ्तार आरोपियों के पास पर्चियां बरामद हुई है। पर्चियों में घूस की रकम का औहदे के हिसाब से बंटवारा लिखा है जिसमें एसीपी का हवाला है। पीपी चन्द्रभान जोशी को चालान पेश करने में मदद करने के एवज में घूस दी जानी थी। पुलिस प्रकरण की जांच कर रहे सब-इंस्पेक्टर की भूमिका को भी जांच के दायरे में ले सकती है। हालांकि एसएचओ के घूसखोरी में लिप्त होने के बिन्दुओं की ब्यूरो टीम जांच कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि एसीबी कार्रवाई की भनक एसीपी को लग गई थी। उसने घर पर रखे घूसखोरी के सबूत साफ करवा दिए। जानकारी के अनुसार उसके घर मोटी घूस के लिफाफे रखे थे जो बांटने थे। ब्यूरो की तलाशी में उसके घर से करीब 20 हजार रुपए और दो लग्जरी वाहनों के अलावा अन्य सामान मिला है। सूत्रों की मानें तो आस मोहम्मद को ट्रांसफर होने की भनक लग गई थी। वह मोटी फाइलों को फटाफट निपटाने में लगा था जिसके एवज में रिश्वत की रकम उसके पास आ चुकी थी।