Jaipur News । कोरोना संक्रमण की वजह से राजस्थान के प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री अर्जुन प्रजापति का गुरुवार को निधन हो गया। प्रजापति पिछले कई महीने से बीमार चल रहे थे। प्रजापति के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर संवेदना प्रकट की है।
जयपुर के निजी अस्पताल में 63 साल की उम्र में प्रसिद्ध मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति ने आखिरी सांस ली। उनके निधन से राजस्थान के कला जगत में शोक की लहर है। प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री अर्जुन प्रजापति पिछले कई महीने से बीमार चल रहे थे। पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन बाद में वह कोरोना से नेगेटिव हो चुके थे। हालांकि संक्रमण से उनके शरीर में इन्फेक्शन हो गया, जिसके चलते गुरुवार को उनकी मौत हो गई। प्रजापति के निधन की खबर की पुष्टि उनके पुत्र राजेन्द्र प्रजापति ने की है। मूर्तिकार प्रजापति का जन्म सन 1957 में हुआ था और उन्होंने अपनी मूर्ति कला और मिट्टी के बर्तनों की कला के लिए अपनी अलग पहचान बनाई। इस कारण उन्हें सन 2010 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके निधन की खबर के बाद उनके परिजनों के साथ-साथ कला जगत में भी शोक की लहर है। प्रजापति के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर शोक जताया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा कि सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, पद्मश्री समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित अर्जुन प्रजापति के असामयिक निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। जयपुर के प्रजापति ने मूर्तिकला को नए आयाम दिए एवं प्रदेश का मान देश-दुनिया में बढ़ाया। उनका निधन कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। इस कठिन समय में मेरी गहरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों एवं मूर्तिकला जगत के साथ है। ईश्वर उन्हें यह आघात सहने का सम्बल दें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने अपने ट्वीट में लिखा कि देश के लोकप्रिय मूर्तिकारों में शुमार एवं पद्मश्री से सम्मानित अर्जुन प्रजापति के निधन पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि एवं परिजनों को मेरी गहरी संवेदनाएं। विनम्रता में उनका कोई सानी नही था और उन्होंने माटीकला को वैश्विक पटल पर लाकर राजस्थान का वैभव बढ़ाया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने लिखा कि पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति के निधन का दुखद समाचार मिला। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिजनों को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करें।
जयपुर में 9 अप्रैल 1957 को जन्मे अर्जुन का 1972 में मूर्ति कला के प्रति प्रेम जागा। उन्होंने परम्परागत कला बणी-ठणी को नया रूप प्रदान किया। उन्हें क्लोनिंग के महारथी के खिताब से नवाज़ा जा चुका है। 2008 में उन्होंने माटी मानस नामक कला दीर्घा की शुरुआत की। माटी मानस राजस्थान का पहला मूर्ति शिल्प संग्रहालय है, जो लगभग सवा बीघा भूमि में जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर चिमनपुरा (आमेर) में मूर्त रूप ले चुका है।
अपनी हर उपलब्धि को अपने गुरुजनों का आशीर्वाद मानने वाले अर्जुन को 1983, 1984, 1990 में राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 1994 में राष्ट्रीय कालिदास सम्मान भी उन्हें मिल चुका है। 1998 में उदयपुर के महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया। फॉरहेक्स का अति प्रतिष्ठित क्राफ्ट सीजन-2010 पुरस्कार भी उन्हें मिला। 2002-03 में ही राष्ट्रीय दक्षता प्रमाण पत्र के लिए इन्हें चुन लिया गयाए तो 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम ने उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया।