ओम माथुर के समर्थकों में जहां उत्साह है वही मुख्यमंत्री धड़ा चिंतित नजर आ रहा है
जयपुर। प्रदेश में चुनावी आहट के साथ ही अब तक भाजपा में हाशिए पर चल रहा ओम माथुर खेमा भी सक्रिय हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर मदन लाल सैनी की नियुक्ति के बाद ओम माथुर के समर्थकों में जहां उत्साह है वही मुख्यमंत्री धड़ा चिंतित नजर आ रहा है। सैनी को पहले मुख्यमंत्री का नजदीकी माना जा रहा था किंतु उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही स्पष्ट कर दिया था कि वह मुख्यमंत्री नहीं बल्कि संघ की विचारधारा पर कार्य करेंगे।
राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद अशोक परनामी अध्यक्ष बने और मुख्यमंत्री धड़ा संगठन पर भी काबिज हो गया। इसके कारण भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता और ओम माथुर के नजदीक माने जाने वाले भाजपा नेता भाजपा से ही दूर हो गए। अब सैनी की सक्रियता को देखते हुए भाजपा कार्यालय में पुराने चेहरे नजर आने लगे हैं। इसके अलावा मुख्यालय से कार्यालय मंत्री मुकेश चेलावत को भी रवानगी दे दी गई है। उनके स्थान पर सुनील कोठारी को कार्यालय का प्रभार सौंपा गया है। इसके अलावा जिला संगठन प्रभारियों की सूची मैं भी ओम माथुर का प्रभाव साफ साफ देखा जा रहा है।
संगठन प्रभारियों में अधिकांश वह नेता है जो अब तक पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। सैनी ने पद संभालते ही सबसे पहले उनसे संपर्क साधा और उन्हें सक्रिय करने के लिए कार्य किया। उन्हें संगठन प्रभारी की जिम्मेदारी देकर जहां पार्टी में वापसी करवाई है वहीं दूसरी ओर जनता को भी संदेश दिया गया कि वे मुख्यमंत्री के पिछलग्गू नहीं है। अब अगले चरण में जल्दी ही देश कार्यकारिणी के सदस्यों की ना होने वाली है उसके बाद कार्यकारिणी और जिला अध्यक्षों की घोषणा होगी। धीरे धीरे संगठन का पूरा ढांचा ही बदला जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सब कवायद पार्टी आलाकमान के कहने पर हो रही है। गजेंद्र सिंह विवाद से सबक लेते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान में वसुंधरा राजे को सीधी चुनौती देने के बजाय कूटनीतिक रूप से टक्कर देने मानस बनाया है। इसके लिए CM के विरोधी माने जाने वाले ओम माथुर को आगे किया गया है। अब माथुर समर्थकों को पार्टी में जगह दे कर धीरे-धीरे वसुंधरा राजे के समर्थकों को दूर किया जा रहा है।