जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने फोन टैपिंग मामले को लेकर विधानसभा में कहा कि फोन टैपिंग आपातकाल है और एक आपातकाल देश में 25 जून 1975 में भी लगा था, सरकारें गिराने की बात होती हैं, अनुच्छेद 356 का सबसे ज्यादा दुरूपयोग कांग्रेस सरकारों ने 100 से भी ज्यादा बार किया है। 1988 में कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े की सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगा था और उस सरकार को जाना पड़ा था। 2010 में शरद पवार, प्रकाश करात के बारे में ऐसी बात हुई और 2019 में येदियुरप्पा सरकार के खिलाफ भी इस तरीके के आरोप लगे थे और तत्कालीन चीफ मिनिस्टर येदियुरप्पा ने सीबीआई जांच के आदेश दिये थे।
पूनियां ने सदन में कहा कि इसकी पृष्ठभूमि एक माननीय सदस्य का सवाल था, जिसका सरकार ने जवाब दिया और एडमिट किया कि सक्षम अधिकारी की अनुमति से टेलीफोन टैप किए जा सकते हैं। मेरा प्रश्न है, यह सक्षम अधिकारी कौन है और सक्षम अधिकारी एसीएस स्तर का होता है, लेकिन शंका यह कि वो कोई और अधिकारी था, जिसके इशारे पर यह सब किया गया। मैं निवेदन करना चाह रहा हूँ माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया या तो वो ऑडियो क्लिप फैब्रिकेटेड थी, गलत थी और यदि वो गलत थी, तो उसका इस्तेमाल माननीय सत्ता पक्ष के लोगों ने किस रूप में किया और यदि वो स्रोत ठीक नहीं था, तो यह टेप आए कहां से यह बताएं। इस पर भी जो एफआईआर अशोक नगर थाने में दर्ज हुई है 17 जुलाई को, उस पर अभी तक क्या कार्रवाई हुई? जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है और मैं चाहता हूं कि यह बतायें कि ये टेप असली थे और क्या टेप किए जा रहे थे?
पूनियां ने कहा कि अधिकारिक फोन टैपिंग की गई इसके बारे में सरकार को जवाब देना चाहिए। फोन टैपिंग की गई तो क्या ये संवेदनशील कानूनी मुद्दा नहीं है? क्या फोन टैपिंग के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन किया गया था? प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि क्या निजता खतरे में नहीं है? क्या राजस्थान की कांग्रेस सरकार खुद को विपरीत परिस्थितियों में पाकर गैर संवैधानिक तरीका नहीं अपना रही है?
पूनियां ने कहा कि फोन टैपिंग को लेकर जिन बिन्दुओं की बात की गई है, अगर सरकार में गैरत हो और दूध का दूध-पानी का पानी करना हो तो राज्य सरकार को सीबीआई या एनआईए की जाँच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मर्यादाहीन तरीके से अंगुली उठाने की जो कोशिश की है और कांग्रेस के एक विधायक ने प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, उस पर भाजपा को कड़ा ऐतराज है।