सात हजार स्कूलों में अनिवार्य विषयों के व्याख्याता नहीं के

Sameer Ur Rehman
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बीकानेर। 13 सितंबर को शिक्षा(ग्रुप-वन) के शासन उपसचिव प्रथम ने आदेश जारी करके 348 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में रूपान्तरित किये जाने की स्वीकृति दी। अभिभावकों का इन स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के प्रति रुझान भी है। दूसरी ओर राज्य में 2015 से चल रहे लगभग 7 हजार स्कूलों में 11वीं, 12वीं में पढ़ाने के लिए अंग्रेजी व हिंदी के व्याख्याता नहीं है।

शिक्षक नेता मोहरसिंह सलावद ने बताया कि जिसके कारण इन स्कूलों में वरिष्ठ अध्यापक ही 11 वीं एवं 1 2वीं कक्षा में अनिवार्य हिंदी एवं अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं।

शिक्षक नेता मोहर सिंह सलावद ने बताया कि विभाग व सरकार शर्त पूरी होने पर भी अनिवार्य अंग्रेजी, हिन्दी व्याख्याता के पद स्वीकृत नहीं कर रहे

है। जिसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। इन स्कूलों में बिना व्याख्याता दो टेस्ट भी हों चुके है व दिसम्बर माह में अर्द्धवार्षिक परीक्षा होनी है।

ऐसे हालात में दसवीं के बाद अच्छी अंग्रेजी पढ़ने के लिए छात्रों के पास प्राइवेट स्कूल का विकल्प ही रह जाता है। विषय विशेषज्ञ बताते हैं कि 12वीं कक्षा में लेक्चरर होना ही चाहिए। इससे छात्रों की अंग्रेजी में सुधार होगा और उन्हें अवसर भी मिलेंगे।

शिक्षक संघ रेसटा प्रदेशाध्यक्ष मोहर सिंह सलावद का कहना है कि स्टाफिंग पैटर्न सीएम, प्रशासनिक सुधार विभाग व वित्त विभाग से अनुमोदित है। नियम 6-2 के तहत अंग्रेजी व हिंदी अनिवार्य के व्याख्याता के पद स्वीकृत होने चाहिए, संघ की ओर अनिवार्य विषयों के पद स्वीकृत करने की मांग को लंबे समय से पूरा करवाने का प्रयास किया जा रहा है।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/