
नई दिल्ली । निपाह वायरस भारत में बड़ी तेजी से पांव पसार रहा है। केरल से शुरू होने के बाद अब कर्नाटक, तेलंगाना में भी इसके कुछ मामले सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं केरल में इस खतरनाक वायरस से अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 200 संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है। इलाज करते हुए चपेट में आए पांच चिकित्साकर्मियों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजा गया है। केरल के कुछ जिलों में इसकी चपेट में आने के बाद यहां आने वाले पयर्टकों में भी इसको लेकर डर व्याप्त है। इसका असर साफतौर पर यहां ट्यूरिज्म इंडस्ट्री पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
इस खतरनाक वायरस को लेकर एक और चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि इस वायरस के फैलने का स्रोत चमगादड़ नहीं है, जैसा कि पहले कहा जा रहा था। फिलहाल विशेषज्ञ भी इसकी जानकारी जुटा रहे हैं कि यदि इसका स्रोत चमगादड़ नहीं है तो फिर यह किस वजह से इतनी तेजी से विभिन्न राज्यों में फैल रहा है। वहीं अब अब फल खाने वाले चमगादड़ का रक्त नमूना परीक्षण के लिए भोपाल स्थित प्रयोगशाला में भेजा गया है। पुणे प्रयोगशाला के विशेषज्ञों की टीम भी कोझिकोड पहुंच गई है, वह विभिन्न तरह के चमगादड़ों के रक्त नमूने ले रही है। इस वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और उल्टियां शामिल है। कुछ में मिर्गी के लक्षण भी देखे गए हैं। केंद्रीय मेडिकल टीम ने विभिन्न जगहों से कुल 21 नमूने एकत्रित किए थे जिसमें से सात चमगादड़, दो सूअर, एक गोवंश और एक बकरी या भेड़ से था। इन नमूनों को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजा गया था। अधिकारी ने कहा, इन नमूनों में उन चमगादड़ों के नमूने भी शामिल थे जो कि केरल में पेराम्बरा के उस घर के कुएं में मिले थे जहां शुरूआती मौत की सूचना मिली थी। इन नमूनों में निपाह विषाणु नहीं पाए गए हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में मृत मिले चमगादड़ों के नमूने पुणे भेजे गए थे, उनमें भी यह विषाणु नहीं मिला है। इसके साथ ही हैदराबाद के संदिग्ध मामलों के दो नमूनों में भी यह विषाणु नहीं मिले हैं।