निकाय चुनाव– भाजपा 498 और कांग्रेस 360 वार्डो में प्रत्याशी नही खडे कर पाई,858 निर्दलीयों पर निगाहें

liyaquat Ali
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Jaipur News । राजस्थान में 20 जिलों में गांव की सरकार चुनने के लिए आगामी 28 जनवरी को होने वाले 90 निकायों में भाजपा और कांग्रेस की सत्ता पाने की चाबी हाथ में रहने के आसार नजर आ रहे हैं इसे यूं कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भाजपा और कांग्रेस को निर्दलीयों की और भाइयों की बे साथियों के सहारे सत्ता हासिल करनी पड़ेगी ।

90 निकायों में सत्ता पक्ष कांग्रेश 360 वार्ड में तो प्रत्याशी नहीं खड़े कर पाई और यही स्थिति भाजपा की है भाजपा 498 वालों में प्रत्याशी खड़े नहीं कर पाई और कुल मिलाकर इन 90 निकायों में 858 निर्दलीय प्रत्याशी निर्दलीय और बागियों के मैदान में है और भाजपा व कांग्रेस को परिषद और पालिकाओं में अपना बोर्ड बनाने के लिए निर्दलीयों का सहारा लेना पड़ेगा और दोनों ही दोनों की निगाहें निर्दलीयों पर टिकी हुई है कुछ परिषद और पालिका ने तो ऐसी है जान भाजपा प्रत्याशी नहीं खड़े कर पाई तो कहीं कांग्रेसी अपने प्रत्याशी नहीं खड़े कर पाई है ।

20 जिलों के 90 निकायों के 3035 वार्डों के लिए हो रहे चुनाव में भाजपा और कांग्रेस 858 वार्डों में अपने प्रत्याशी ही तय नहीं कर पाई। हालांकि, दोनों दलों के प्रदेशाध्यक्ष इसे अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं, लेकिन सच यह है कि इन वार्डों में दोनों दलों की नजरें निर्दलीय उम्मीदवारों पर है। इन वार्डों में जो भी निर्दलीय जीतेगा, बोर्ड बनाने के लिए भाजपा-कांग्रेस उसे अपना पाले में मिला सकेगी।

मंथन के बाद भी भाजपा कांग्रेस कहां प्रत्याशी नही खडे कर पाई

भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव प्रभारी लगाकर प्रत्याशी तय किए थे। निकाय से लेकर प्रदेश स्तर तक टिकटों को लेकर मंथन हुआ, लेकिन 498 वार्डों में भाजपा चुनाव से पहले अपने प्रत्याशी तय नहीं कर पाई। कांग्रेस भी 360 वार्डों में उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं कर सकी। प्रत्याशी नहीं उतारने के पीछे दोनों दलों का तर्क है कि यह सोची-समझी रणनीति है।

भाजपा इन जगह प्रत्याशी नही खडे पाई

हनुमानगढ़ जिले के 5 निकायों में चुनाव हैं और रावतसर, नोहर, भादरा, पीलीबंगा, संगरिया निकायों के कुल 185 वार्डों में से भाजपा मात्र 79 में प्रत्याशी उतार पाई है। संगरिया के 35 में से भाजपा मात्र 3 और नोहर के 40 में से केवल 7 वार्डों में प्रत्याशी उतार सकी है। पार्टी में चर्चा है कि इसकी वजह किसान आंदोलन है। एक अन्य वजह यह भी है कि पार्टी को कोई नुकसान न हो, इसके लिए निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया गया है।

यहां स्थिति यह

सुजानगढ़ में विधानसभा उपचुनाव होना है। यहां भी भाजपा और कांग्रेस दोनों को निकायों में पूरे प्रत्याशी नहीं मिले हैं। कुल 60 में से भाजपा 46 और कांग्रेस 41 वार्डों में ही प्रत्याशी उतार पाई है।

कांग्रेस की यहां बुरी हालत

बीकानेर की नोखा नगर पालिका में कांग्रेस एक भी वार्ड में प्रत्याशी खड़ा नहीं कर सकी है। जबकि, भाजपा ने 45 में से 44 वार्डों में प्रत्याशी उतारे हैं। बीकानेर से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे कन्हैयालाल झंवर के पुत्र नोखा में एनसीपी के सिंबल पर अपने प्रत्याशी लड़वा रहे हैं। एनसीपी यहां 45 ही वार्डों में चुनाव लड़ रही है।

डोटासरा की इनकी जुबानी

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि कांग्रेस ने कुछ वार्डों में रणनीति अपनाई और जहां दो मजबूत कार्यकर्ता हैं वहां सिंबल नहीं दिए हैं। कुछ जगह जातिगत समीकरणों को देखते हुए भी उम्मीदवार नहीं उतारे। कुछ विशेष वार्डों में क्षेत्रीय नेताओं से चर्चा कर रणनीति के तहत सिंबल नहीं दिए गए हैं।

पूनिया की जुबानी

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां साफ कर चुके हैं कि कुछ वार्डों में सिंबल नहीं देना हमारी रणनीति का हिस्सा है। कुछ जगह से मांग आई थी कि निर्दलीय को ही समर्थन दिया जाए। कुछ जगह पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन खारिज भी हुए हैं। लेकिन जहां सिंबल नहीं दिए वहां भी पार्टी समर्थित प्रत्याशी ही जीतेंगे।

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