निगम चुनाव : डेमेज कंट्रोल के लिए अब कांग्रेस-भाजपा जुटी बागियों के मान-मनौव्वल में

Politics on East Rajasthan: BJP is searching for lost land, saving Congress stronghold

Jaipur news । प्रदेश के जयपुर, जोधपुर और कोटा शहर के 6 नगर निगमों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के लिए टिकट वितरण से नाराज बागी बड़ी चुनौती बन गए हैं। कांग्रेस व भाजपा ने अब नामांकन की तिथि बीतने के बाद डेमेज कंट्रोल की तैयारियां शुरु कर दी है। दोनों दलों में प्रमुख पदाधिकारियों को बागियों की मान-मनौव्वल के लिए लगाया गया है। कई जगह बागियों को संगठन में एडजस्ट करने का हवाला देकर उन्हें दोबारा पार्टी की विचारधारा से जोड़ा गया है। 

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निगम चुनाव के लिए प्रत्याशी सूची जारी करने के बाद अब प्रदेश कांग्रेस और भाजपा डेमेज कंट्रोल पर उतर आई है। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने खुद इस कवायद का जिम्मा संभाल लिया है। पार्टियों के सामने बागियों को मनाने के साथ ही टिकट वितरण से नाराज़ हुए विधायकों और पूर्व विधायकों को मनाने की दोहरी चुनौती है। कार्यक्रम के अनुसार 22 अक्टूबर की दोपहर तीन बजे तक प्रत्याशी अपने नाम वापस ले सकेंगे। ऐसे में पार्टी का पूरा फोकस अब बागियों को जैसे-तैसे मनाने का है। पार्टी ने जिन नेताओं को इसकी जि़म्मेदारी दी है, वे मंगलवार को ही फील्ड में जाकर बागियों को मनाने और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के समर्थन में नामांकन वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं। बागियों को मनाने की कवायद में मंडल और बूथ स्तर पर जिम्मेदारियां दी गई हैं। टिकट वितरण के बाद दोनों दलों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो पार्टी नेतृत्व से नाराज़ बताए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार लगभग एक दर्जन से ज़्यादा विधायकों और पूर्व विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व से टिकट वितरण को लेकर नाराजगी ज़ाहिर की है। नामांकन के आखिरी दिन दोनों पार्टियों से खफा बागियों ने ताल ठोकी है। अकेले जयपुर में कुल 1425 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इनमें से 496 प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के रहे, जबकि बागियों की संख्या 929 है। अगर बागी नहीं मानें तो निकाय चुनाव में कड़ा मुकाबला तय है। 

पार्टियों ने बागी नेताओं को मनाने के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। आवश्यकता पडऩे पर वरिष्ठ नेता भी हस्तक्षेप करेंगे, ताकि नाम वापसी के दिन अधिकाधिक बागी प्रत्याशियों को नाम वापसी के लिए राजी किया जा सके। भाजपा-कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही कई इलाकों में घोषित प्रत्याशियों का विरोध भी शुरु हो गया। इसके बाद कुछ वार्डों में पार्टी कार्यकर्ता ताल ठोक मैदान में उतर आए। अब पार्टियों ने ऐसे लोगों की सूची तैयार कर इन्हें नाम वापस लेने के लिए मनाने का दौर शुरू किया है। नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी हित में कल तक काफी लोग अपना नाम वापस ले लेंगे।