मेरा सपना है कि राजस्थान में मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए एक यूनिवर्सिटी बने-राजे

liyaquat Ali
4 Min Read

मूक-बधिर संस्थान के नाम मे से हटेगा मूक शब्द, स्पेशल विद्यार्थियों के लिये यूनिवर्सिटी बनाने की वसुंधरा राजे ने जताई मंशा

 

 

जयपुर, । जेएलएन मार्ग पर सेठ आनन्दीलाल पोद्दार मूक-बधिर संस्थान में स्थित विश्वविख्यात ‘‘सविता-रणजीत सिंह भण्डारी डॉल्स म्यूजियम’’ का शनिवार को मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर श्रीमती राजे ने डॉल्स म्यूज़ियम में सजाई सँवारी गई डॉल्स का अवलोकन किया तथा नए-निखरे रूप के लिए कंवर रणजीत सिंह भण्डारी मेमोरियल फाउण्डेषन के प्रयासों की भरपूर सराहना की।

 

डॉल्स म्यूजियम के जीर्णोद्धार एवं नई विंग के निर्माण कार्य के बाद अब यहां की गुडि़याएं अधिक आकर्षक, मनोरम और सजी-संवरी नजर आने लगी हैें। इस अवसर पर फाउण्डेशन के संरक्षक पद्मश्री डॉ. एस.आर. मेहता, पद्मभूषण डी.आर. मेहता, पद्मश्री डॉ. गोवर्धन मेहता के अलावा फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी एस.एस. भंडारी, शारदा भंडारी, न्यासीगण अजीत सिंह, नरपत सिंह रविन्द्र, शरद, शारदा भण्डारी एवं पी.पी. पारीक, राजस्थान के मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता विशेष तौर पर उपस्थित थे।

यशवन्त कंवर रणजीत सिंह भण्डारी मेमोरियल फाउण्डेषन के प्रबंध न्यासी एस.एस. भण्डारी एफसीए ने बताया कि सेठ आनंदीलाल मूक-बधिर संस्थान में वर्ष 1980 से सेकसरिया डॉल्स म्यूजियम बना हुआ है, जिसका निर्माण भगवानी बाई चेरिटेबल ट्रस्ट ने करवाया था।

इस डॉल्स म्यूजियम में वर्तमान में देष-विदेष की करीब 300 गुडि़याएं हैं, जो कि विष्व के कई देशो तथा भारत के विभिन्न प्रान्तों से यहां लाई गई हैं। ये गुडि़याएं मूक होकर भी अपनी भाव-भंगिमाओं से देष-विदेष की संस्कृति, वेषभूषा, रहन-सहन आदि की झलक दर्षाती हैं। इसी प्रकार श्री भण्डारी का मानना था कि गुडि़याएं मूक-बधिर बच्चों का एक स्वरूप है, तो इस कार्य में तन-मन-धन से जुट गए।

समय के साथ गुडि़याघर के जीर्ण-षीर्ण होने की स्थिति में  एस.एस. भण्डारी, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट ने पुराने गुडि़याघर को संवारने का निष्चय कर एवं एक नई विंग बनाने का राजस्थान सरकार के साथ एक एमओयू किया, जिसके फलस्वरूप यहां नए कक्ष बनाने के साथ ही करीब 400 नई गुडि़याओं को भी स्थान दिया गया है।

 

 

एस. एस. भण्डारी के अनुसार यशवन्त कंवर रणजीत सिंह मेमोरियल फाउण्डेशन की ओर से नया कक्ष बनाने के बाद अब डॉल्स म्यूजियम का क्षेत्रफल करीब 3000 स्क्वायर फीट हो गया है। डॉल्स म्यूजियम के दोनों कक्षों में नए शेल्फ, कूलिंग सिस्टम, लाइट सिस्टम, पर्यटकों के बैठने एवं सुलभ सुविधा की व्यवस्था भी की गई है। यहां की डॉल्स को मिट्टी से सुरक्षित रखने के लिए दोनों कक्षों को सेंट्रल एयरकंडीषन्ड किया गया है। पुरानी गुडि़याओं को उनके विवरण एवं बैकग्राण्उड के साथ सजाकर लोकार्पित किया गया है।

 

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि मेरा सपना है कि राजस्थान में मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए एक यूनिवर्सिटी बने। इसके लिए मैने एक विदेशी संस्थान के साथ मिलकर कुछ प्रयास भी किये थे, लेकिन उस संस्थान के पीछे हटने से ये काम अधूरा रह गया। अब भंडारी जी जैसे संवेदनशील भामाशाहो के साथ आने से मुझे अपना सपना पूरा होने की आशा जगी है। उन्होंने पीपीपी मोड़ पर देश की इस प्रकार की पहली यूनिवर्सिटी शुरू करने के लिए समारोह में मौजूद डी.आर. मेहता से सहयोग का भी आह्वान किया।

 

वसुंधरा राजे ने कहा कि राज्य सरकार म्यूजियम पर बहुत ध्यान दे रही है जिसका श्रेष्ठ उदाहरण जोधपुर और भरतपुर के म्यूजियम हैं। इस अवसर पर राजे ने कहा कि फाउंडेशन ने उन बच्चों के जीवन मे रोशनी लाने का काम किया है, जो अपनी खामोश भावनाओ से औरो के चेहरों पर मुस्कान लाते हैं। कार्यक्रम में संस्थान के बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। एस.एस. भंडारी ने फाउंडेशन के कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

Share This Article
Follow:
Sub Editor @dainikreporters.com, Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter.
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *