जयपुर। प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद को लेकर चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। इसी बीच गहलोत खेमे के माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला और कहा कि बीजेपी प्रदेश में फिर से सरकार गिराने में सक्रिय हो गई है।
खाचरियावास ने आज अपने आवास में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि विधायकों में नाराजगी है या कोई बात है तो वह हमारे परिवार का आपसी मामला है। हमारे परिवार का झगड़ा है, हम आपस में बैठकर इससे निपट लेंगे लेकिन बीजेपी को इस मामले बोलने कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रदेश में सरकार गिराने में सक्रिय हो गई है। जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है हमारे मंत्रियों पर इनकम टैक्स के छापे पड़ रहे हैं।
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि आनन-फानन में विधायक दल की बैठक बुलाई गई,विधायकों को देर रात तक फोन किए गए विधायकों के बीच यह अफवाह फैल गई कि जिन लोगों ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने का प्रयास किया था उन्हीं लोगों को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है।
इसी नाराजगी को लेकर विधायक शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे थे और देखते ही देखते 92 विधायक शांति धारीवाल के आवास पर पहुंच गए और अपना इस्तीफा जाकर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया।
प्रताप सिंह खाचरियावास पर कहा कि विधायकों में नाराजगी थी विधायक अगर विधायक दल की बैठक में नहीं आए थे तो पर्यवेक्षकों को एक-दो दिन और जयपुर में रुकना चाहिए था और वन टू वन विधायकों से मुलाकात करके उनकी राय जाननी चाहिए थी लेकिन पर्यवेक्षक जयपुर में नहीं रुके।
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं कर रहे हैं लेकिन लोकतंत्र में फैसला संख्या बल के लिहाज से होता है। एक तरफ 102 विधायक हैं तो दूसरी और 18 विधायक हैं ऐसे में लोकतंत्र मैं किसकी बात सुनी जानी चाहिए।
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जिन लोगों ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार जाने का प्रयास किया था उसके चलते सोनिया गांधी के खेमे के लोग 35 दिनों तक बाड़ेबंदी में रहे थे और सरकार बचाई थी उस वक्त वेणुगोपाल अजय माकन और अविनाश पांडे भी हमारे साथ थे।
इधर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल की ओर से प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर लगाए गंभीर आरोपों का बचाव करते हुए प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि शांति धारीवाल 80 साल के बुजुर्ग व्यक्ति हैं जो बात कहते हैं सोच समझकर कहते हैं, लेकिन उन्होंने किस संदर्भ में आरोप लगाए हैं उसका जवाब तो वही दे सकते हैं।