
Jaipur News। पंजाब की तरह राजस्थान में चल रही कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान में प्रदेश प्रभारी अजय माकन के एक री-ट्वीट ने बड़ी हलचल मचा दी है। अजय माकन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अमरिंदर को निशाना बनाने वाले ट्वीट को री-ट्वीट और लाइक कर बड़े सियासी संकेत दिए हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की प्रदेशाध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद किए गए री-ट्वीट से पायलट खेमा जहां उत्साह में हैं, तो गहलोत खेमा सकते में आ गया हैं। माकन ने एनबीटी के रिपोर्टर शकील अख्तर के जिस ट्वीट को री-ट्वीट किया है, उसमें जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उससे अब राजस्थान की सियासत गर्म हो गई है।
किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है। गांधी नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग, आम आदमी का वोट मिलता है।
मगर चाहे वह अमरिन्द्र सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और! मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती।
1/2— Shakeel Akhtar (@shakeelNBT) July 18, 2021
माकन के रीट्वीट में लिखा गया है कि किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है। गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग, आम आदमी का वोट मिलता है।
Delhi-historically gets a special treatment from the Centre.
It gets 34,000cr/yrDelhi Police-8,619cr
Hospital-7,046cr
DDA-6,738cr
NDMC-4,127cr
Pension-4,000cr
DU, JNU & Jamia-3,000crBut still-
Water logging
Drinking Water Shortage
No new DTC bus
Capital works at a standstill pic.twitter.com/ja4qn1KkHO— Ajay Maken (@ajaymaken) July 15, 2021
चाहे वह अमरिन्द्र सिंह हो या गहलोत या पहले शीला या कोई और, मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती। जिस ट्वीट को लाइक और री-ट्वीट किया गया है उसके दूसरे थ्रेड में लिखा है कि 20 साल से ज्यादा अध्यक्ष रही सोनिया ने कभी अपना महत्व नहीं जताया।
नतीजा यह हुआ कि वे वोट लाती थीं और कांग्रेसी अपना चमत्कार समझकर गैर जवाबदेही से काम करते थे। हार जाते थे तो दोष राहुल पर, जीत का सेहरा खुद के माथे, सिद्धू को बनाकर नेतृत्व ने सही किया। ताकत बताना जरूरी था।
सियासी जानकार बताते हैं कि 6 जुलाई को राजस्थान के प्रभारी अजय माकन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही दूरियों को कम करने के लिए ही दो दिवसीय यात्रा पर राजस्थान आए थे, लेकिन उसके बाद गतिविधियां बिल्कुल ठंडी पड़ गई। माकन के इस री-ट्वीट ने पायलट खेमे में नई जान फूंक दी हैं।
प्रदेश प्रभारी के री-ट्वीट से यह साफ हो गया है कि राजस्थान कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है, उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रवैए से आलाकमान असहमत हैं। कांग्रेस में प्रदेश प्रभारी हाईकमान का प्रतिनिधि होता है, हाईकमान को किसी भी राज्य में कुछ भी मैसेज देना होता है तो उसका जरिया प्रभारी ही होता है। प्रभारी का बयान कांग्रेस हाईकमान का बयान माना जाता है।
अजय माकन के री-ट्वीट के बाद सियासी जानकारों का मानना है कि यह उनका व्यक्तिगत विचार नहीं हो सकता। प्रभारी के नाते माकन ने री-ट्वीट के जरिए अशोक गहलोत और उनके खेमे को साफ मैसेज दिया है कि आगामी दिनों में पावर शेयरिंग पर उन्हें हाईकमान का आदेश मानना होगा।
माकन ने ऐसे वक्त पर गहलोत तथा अमरिंदर पर निशाना साधा है जब पंजाब में नवजोत सिद्धू को वहां के मुख्यमंत्री की नाराजगी के बावजूद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया। राजस्थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच लगातार खींचतान जारी है।
गहलोत कैंप के निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के शक्ति प्रदर्शन और दवाब की राजनीति के बीच माकन का यह स्टैंड राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में आने वाले दिनों में बड़े फैसलों के संकेत दे रहा है।