निर्दलीयों ने बिगाडा पार्टी प्रत्याशियों का गणित

liyaquat Ali
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जयपुर।  प्रदेश में अब तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में भले ही किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों ने हमेशा ही वोटों को प्रभावित किया है। पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालेें तो हर बार विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार 17 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर जाते है, जो मुख्य पार्टियों के उम्मीदवारों की जीत-हार और सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं।

1952 से अब तक हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो अब तक तीन बार ऐसी सरकारें बनी है, जिनमें निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या दूसरे नंबर पर रही है। यानी मुख्य पार्टी के बाद अगर दूसरे नंबर पर अगर किसी कोई रहा तो वह निर्दलीय है। वर्ष 1952, 1957 और 1972 के चुनाव में निर्दलीयों की ये स्थिति रही है।

निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो हर विधानसभा चुनाव में निर्दलीयों को औसतन 17 फीसदी वोट मिले हैन। सबसे अधिक वोट प्रतिशत 1957 के चुनावों में रहा, जब 325 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे, जिन्हे कुल मतदान का 33.93 फीसदी वोट पड़े थे। इस दौरान कांग्रेस के बाद अगर कोई दूसरे सबसे नंबर पर था तो वे निर्दलीय उम्मीदवार ही थे, जिनकी संख्या 32 थी। वहीं सबसे कम वोट प्रतिशत गत विधानसभा  2013 में रहा।

इन चुनावों में निर्दलीय 758 उम्मीदवार मैदान में थे, जिन्हे कुल मतों का 8.37 फीसदी वोट मिला था। लेकिन इस दौरान केवल 7 उम्मीदवार ही जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।

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