जयपुर। एससी/एसटी एक्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए फैसले के बाद राज्य में पुलिस प्रशासन की ओर से जारी हुए दिशा निर्देश के बाद विवाद खड़ा हो गया है। पुलिस विभाग ने एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मुकदमे में बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं होने के निर्देश दिए है, वहीं इस ऑडर की खबर मिलने से राजे सरकार टेंशन में है। मुख्यमंत्री ने स्पष्टï कहा है कि इस प्रकार को कोई फैसला सरकार ने नहीं लिया है।
मंगलवार को जैसे ही पुलिस के ऑर्डर की खबर वायरल हुई तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद मीडिया से रूबरू हुई और उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि मेरी बिना जानकारी में लाए पुलिस विभाग के आलाधिकारी की ओर से ऐसा आदेश जारी किया है। जिसके चलते भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। इस मामले में सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। इसके लिए गृह मंत्री और पुलिस विभाग को इस मामले में स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि सरकार भी इस मामले में केंद्र की तरह एससी/ एसटी संसोधन के रिव्यु पिटीशन के समर्थन में है । गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट के को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को निर्णय दिया था ।
पुलिस महकमे का क्या है आदेश?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेश के दो दिन के बाद ही 23 मार्च को राज्य में राजस्थान पुलिस की ओर से एडीजी नागरीक अधिकार एमएल लाठर ने आदेश जारी किया था। इसमें स्पष्ट किया गया कि राजस्थान एससी/ एसटी कानून मामलों के नए दिशा निर्देशों क्रियांविति सभी करें। आदेश में कहा गया कि सभी जिला पुलिस और आयुक्त न्यायालय के आदेशों का पालन करें ।
आदेश में बताया गया कि अत्याचार अधिनियम के मामलों में किसी सार्वजनिक कार्मिक की गिरफ्तारी केवल उसके नियुक्त प्राधिकारी के अनुमोदन के बाद ही हो सकेगी। साथ ही गैर सरकारी व्यक्ति की गिरफ्तारी तभी हो सकेगी जबकि इसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपना अनुमोदन दे दें। किसी की पुलिस अभिरक्षा बढ़ाने के लिए भी आवश्यक कारणों का उल्लेख करना होगा,इसकी समीक्षा मजिस्ट्रेट की ओर से की जाएगी ।
आदेश में स्पष्ट किया है कि निर्दोष को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पहले मामले की जांच सम्बन्धित उप अधीक्षक की और से की जाएगी। इसमें कहा गया कि आदेशों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।