Jaipur News/ डाॅ. चेतन ठठेरा।राजस्थान में चुनावी रण शुरू हो चुका है और इस रण में प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच प्रमुख मुकाबला है जहां एक और कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए प्रयास रत है ।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष भाजपा सत्ता हथियाना के लिए जी तोड़ कोशिश में है लेकिन प्रदेश में भाजपा में मतदाताओं को पार्टी की ओर मोड़ने और मतदान करने में माहिर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री को लेकर और उसे दरकिनार करने की कहानी पर अब विराम लग गया है और
इसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान में पार्टी और राजनीतिक समीकरण को देखते हुए अब वसुंधरा राजे के आगे आत्मसमर्पण की स्थिति में आ गया है और आने वाली प्रत्याशियों की सूची में एक बार फिर वसुंधरा राजे समर्थकों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी बड़ी प्राथमिकता मिलेगी और इससे बड़ी बात यह है कि अगर भाजपा को चुनाव में बहुमत मिला तो राजस्थान की अगले मुख्यमंत्री एक बार फिर से वसुंधरा राजे होगी ?
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव का ऐलान और प्रत्याशियों की पहली सूची तक वसुंधरा राजे को दरकिनार कर अनदेखी कर रही थी और इसका नतीजा या यू कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वसुंधरा राजे की अंडे की की झलक भाजपा द्वारा जारी की गई पहले 41 प्रत्याशियों की सूची के बाद प्रदेश भर में बगावत के बिगुल ने केंद्रीय नेतृत्व की नींद उड़ा दी और आखिर इसका परिणाम सामने आया।
तब केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे के आगे नतमस्तक हो गया और एक बार फिर से वसुंधरा राजे को फ्रंट लाइन में लाते हुए जारी गई की गई दूसरी सूची में वसुंधरा राजे समर्थक ऑन की 28 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया अब सूत्रों के अनुसार सोमवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सर्वोच्च चुनाव समिति की हुई ।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक बार फिर से पूरी छूट देने का निर्णय लिया गया है या ऐसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तय कर लिया गया है और इसके साथ ही यह भी निश्चय किया गया है कि प्रदेश में भाजपा बहुमत से सत्ता में आती है तो वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री बनेगी अल्लाह के सूत्रों के अनुसार अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है की मुख्य मुख्यमंत्री के नाम के लिए कुछ नाम चल रहे थे ।
उन पर भी अब विराम लग गया है और संभावना है कि आने वाली 76 प्रत्याशियों की सूची में जो संभावनाएं व्यक्ति की जा रही थी कि गजेंद्र सिंह शेखावत अर्जुन मेघवाल और कैलाश चौधरी को भी विधानसभा चुनाव लड़ाया जाएगा।
लेकिन अब सोमवार को हुई बैठक के बाद बदले समीकरण और वसुंधरा राजे को फ्री हैंड देने के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत अर्जुन मेघवाल और कैलाश चौधरी को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिले इसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की सर्वोच्च चुनाव समिति की सोमवार को ही बैठक में हुए मंथन के बाद यह भी निर्णय लिया गया की 2018 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े उन में से जो बचे हुए हैं प्रत्याशी उनको भी प्राथमिकता दी जाएगी और साथी पार्टी से नाराज चल रहे ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी इस आखिरी सूची में प्राथमिकता मिलेगी हालांकि भारतीय जनता पार्टी की सर्वोच्च चुनाव समिति सेक की बैठक आज है जिसमें प्रत्याशियों की सूची पर अंतिम निर्णय लिया जाकर मोहर लगा सकती है ।
भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व को इस बात का एहसास हो गया है कि अगर राजस्थान में सत्ता में आना है तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कोई आगे रखना होगा और वही एकमात्र ऐसी नेता है राजस्थान में जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को टक्कर दे सकती है और कांग्रेस से सत्ता हथियाना में माहिर है और यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा में वर्तमान में चुनाव के दौरान जिस तरह की बगावत बिगड़े हालात से सत्ता के गलियर तक पहुंचना मुश्किल था ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में वसुंधरा राजे को आगे लाना ही उचित समझा ।
मंगलवार को भाजपा कोर कमेटी की बैठक दिल्ली में प्रहलाद जोशी के आवास पर हुई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजेंद्र सिंह शेखावत प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर कैलाश चौधरी राजस्थान परिवार अरुण सिंह मौजूद रहे और और कमेटी की बैठक में प्रदेश की बची हुई।
76 सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर लंबा मंथन चला जिस पर सूची को अंतिम रूप दिया गया और कल बुधवार को भाजपा की सीईसी की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में होगी जिसमें कोर कमेटी के सदस्य भी शामिल होंगे और इस बैठक में प्रत्याशियों की सूची पर अंतिम मोहर लगेगी।
राजनीति में हर पल परिस्थितियों बदलती है और अनिश्चितताओं का दूर रहता है जब तक अंतिम परिणाम नहीं आ जाता ऐसे में किसी भी नतीजे पर पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी।