जयपुर। चुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही सियासी दलों के बीच संघर्ष तेज हो गया है वहीं, रेतीली धोरों की सियासी तपिश भी लगातार बढ़ रही है। जैसलमेर की पूर्व महारानी राजेश्वरी राज्यलक्ष्मी चुनाव के मैदान में उतरने की घोषणा कर चुकी हैं लेकिन, वे किस दल से चुनाव के रण में उतरेंगी, इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। हर किसी को राज्यलक्षमी के अगले कदम का इंतजार है।
सूत्रों का कहना है कि पूर्व महारानी को भाजपा और कांग्रेस दोनों की तरफ से ऑफर मिला हुआ है लेकिन, उन्होंने अभी तक निर्णय नहीं किया है। सियासी ताल ठोक चुकी पूर्व महारानी ने बातचीत के दौरान कहा है कि राजनीति राजपरिवार के खून में होती है। जैसलमेर का जिस गति के साथ विकास होना चाहिए था।
वह नहीं हुआ है। जैसलमेर को सक्षम नेतृत्व नहीं मिल सका है। वे बड़ी हिम्मत करके बाहर आई हैं। विश्वास है कि जनता साथ देगी, चुनाव लडऩा है अब पीछे नहीं हटना। राज्यलक्ष्मी ने कहा कि उनके राजनीति में आने के फैसले में सभी लोगों ने साथ दिया है। वे राजनीतिज्ञ नहीं हैं, लेकिन, वे यहां के लोगों को जोड़कर और उनसे जुड़कर काम करना चाहती हैं।
दूरियां कभी नहीं रही
राजपरिवार और यहां की जनता के बीच में दूरियां कभी नहीं रही है। पूर्व महारानी के इस बार चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा के साथ ही सियासी पारा चढ़ गया है। उनके इस घोषणा के बाद यहां भाजपा-कांग्रेस के सारे समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि राजपरिवार का प्रभाव जैसलमेर और पोकरण दोनों सीटों पर है।
यही वजह है कि उनके चुनाव मैदान में उतरने के संकेत देने के साथ ही दोनों दलों के नेता संपर्क साधने में लगे हैं। जानकारों का मानना है कि पूर्व महारानी का रुझान जिस दल की तरफ होगा, उस दल को यहां से राजनीतिक मजबूती मिलेगी।