राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार में संतुलन कैसे बिठाऐंगे,क्षेत्रीय व जातिगत समीकरण,15जिले नेतृत्व विहीन

Dr. CHETAN THATHERA
9 Min Read

जयपुर/ राजस्थान में पिछले 6 माह से अधिक समय से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही अटकलें बातचीत कवायदयों का दौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलग अलग अलग कमान सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा से इस हफ्ते हुई मुलाकातें और बातचीत के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं बन गई है और यह हम पहले भी लिख चुके हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का दौर इसी माह के अंत तक हो सकता है ।

लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार करना आसान नहीं होगा नियमों के तहत मंत्रिमंडल में 30 मंत्री होने चाहिए तो वर्तमान में 21 मंत्री हैं 9 मंत्री और बनाए जा सकते हैं तीन मंत्रियों से इस्तीफा दिला दिया जाए तो भी कुल 12 मंत्री नए बनाए जा सकते हैं और अगर विधानसभा का उपाध्यक्ष ही बनाए तो तेरा विधायक मंत्री बन सकते हैं ।

अब ऐसे में 12 नए चेहरों में कांग्रेस को क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का संतुलन बिठाने के साथ ही प्रदेश में 15 ऐसे जिले हैं जहां से अभी तक मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधि नहीं है ऐसे हालत में गहलोत को क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के साथ-साथ जिलो को प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रखना होगा।

राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत कुल 21 मंत्री हैं। विस्तार में सीधे तौर पर 9 नए मंत्री बन सकते हैं ।जबकि कांग्रेस के एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के तहत गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा, पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को मंत्री पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है।मंत्रिमंडल विस्तार के की अटकलों के बाद राजस्थान में 9 रिक्त पदों के अलावा अतिरिक्त 3 पदों के साथ कुल 12 मंत्री बन सकते हैं।

विस्तार मे गहलोत का पलडा भारी

मंत्रिमंडल विस्तार में गहलोत का पलड़ा भारी दिख रहा है। केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अजय माकन और वेणुगोपाल की मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मंत्रिमंडल विस्तार के लिए फ्री हैंड निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया था।

अब शुक्रवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सोनिया से मुलाकात के बाद प्रदेश की राजनीति में जो समीकरण नजर आ रहा है उसके तहत इन 12 रिक्त पदों पर सचिन पायलट समर्थकों को अधिक से अधिक तीन मंत्री पद मिलने की संभावना ही दिखाई दे रही है। ऐसे में इन 12 नए चेहरों में कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधना अपने आप में एक चुनौती होगा।

इसके साथ ही अगर विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को और जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 13 तक पहुंचती है।हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सचिन पायलट लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि सरकार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलनतय बनाना जरूरी है।

कंहा-कहां से नेतृत्व

गहलोत कैबिनेट में अजमेर से रघु शर्मा, अलवर से टीकाराम जूली, बारां से प्रमोद जैन भाया, बाड़मेर से हरीश चौधरी, भरतपुर से सुभाष गर्ग और भजन लाल जाटव, बीकानेर से बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी, बूंदी से अशोक चांदना, चित्तौड़गढ़ से उदयलाल आंजना, दौसा से परसादी लाल और ममता भूपेश, जयपुर से प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया और महेश जोशी(मुख्य सचेतक-कैबिनेट मंत्री का दर्जा), जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, जोधपुर से खुद सीएम अशोक गहलोत, कोटा से शांति धारीवाल, राजसमंद से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं।

संभाग वार स्थिति इस तरह

बीकानेर संभाग- 

बीकानेर संभाग में चार जिले आते हैं। बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर. लेकिन बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी के रूप में दो मंत्री केवल बीकानेर जिले से ही है। चूरू, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले के विधायकों के हाथ खाली हैं। जबकि इन तीनों जिलों में एक निर्दलीय और 8 कांग्रेस विधायक हैं।
हालांकि, मास्टर भंवर लाल मेघवाल चूरू के सुजानगढ़ से आते थे लेकिन उनके निधन के बाद चूरू का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया।

भरतपुर संभाग

भरतपुर संभाग में भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर जिले आते हैं। इनमें भरतपुर से सुभाष गर्ग और भजनलाल जाटव मंत्री हैं। लेकिन धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर से कोई मंत्री नहीं है। जबकि इन तीन जिलों में कांग्रेस के 10 और एक निर्दलीय विधायक हैं।

जयपुर संभाग

जयपुर सम्भाग में जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनू जिले हैं। सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री यहीं से हैं। जयपुर से लालचंद कटारिया, प्रताप सिंह खाचरियावास कैबिनेट मंत्री, दौसा से परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा, अलवर से टीकाराम जूली मंत्री हैं।

अजमेर संभाग

अजमेर संभाग में अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर आते हैं। इनमें सिर्फ अजमेर से रघु शर्मा मंत्री हैं। भीलवाड़ा, टोंक, नागौर में कांग्रेस के 11 विधायक हैं लेकिन मंत्री केवल एक।

जोधपुर संभाग

जोधपुर से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, बाड़मेर से हरीश चौधरी मंत्री हैं।

कोटा संभाग

कोटा सम्भाग में कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ आते हैं। इनमें कोटा से शांति धारीवाल, बूंदी से अशोक चांदना और बारां से प्रमोद जैन भाया मंत्री हैं।

उदयपुर संभाग

उदयपुर संभाग मे उदयपुर, चित्तौडगढ,प्रतापगढ, बासवाडा, डूगंरपुर जिले आते है इनमे से राजसमंद से डाॅ सी पी जोशी विधानसभाध्यक्ष है तो चित्तौडगढ से उदयलाल आजंना है ।।

कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन जिलों को प्रतिनिधित्व देना चाहेंगे जहां से अभी तक एक भी मंत्री नहीं है।इसके तहत राज्य में 15 जिलों के 39 विधायक तो हैं लेकिन उनमें से मंत्री पद पर एक भी विधायक नहीं ।इनमें से दलित, महिला और ओबीसी चेहरों को देखते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है ।

पायलट खेमे से

पायलट कैंप के रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को दोबारा मंत्री पद मिलता है या मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट अपने दूसरे साथी विधायकों को मौका देंगे। हालांकि अब माना जा रहा है कि विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री बनने के आसार नजर आ रहे हैं। जबकि सचिन पायलट चाहते हैं कि हेमाराम चौधरी, विजेंद्र ओला, मुरारी मीना, दीपेंद्र सिंह शेखावत को मौका मिले।इनके साथ ही रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को भी मंत्री बनाया जाता है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पायलट के कोटे से छह मंत्री बना सकते हैं या नहीं, जबकि उनके पास कैबिनेट विस्तार की स्थिति में अधिकतम 13 पद ही हैं ।

महिला व दलित मंत्रिमंडल मे कम

क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ जातिगत और लैंगिक संतुलन भी गहलोत कैबिनेट में खासा ऊपर नीचे है। जहां उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी 40% टिकट महिलाओं को देने की बात कर रही हैं, तो वहीं, राजस्थान में अगर गहलोत मंत्रिमंडल की ओर देखा जाए तो मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्रियों में केवल एक महिला मंत्री ममता भूपेश हैं।

ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कैबिनेट में अब महिलाओं को पर्याप्त जगह देनी होगी। जबकि गहलोत कैबिनेट में दलितों की संख्या कम तो है ही इसके साथ ही एकमात्र दलित कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद अब गहलोत कैबिनेट में एक भी दलित मंत्री ऐसा नहीं है जो कैबिनेट दर्जे का हो। ऐसे में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दलित और महिलाओं को अपने कैबिनेट विस्तार के समय ध्यान में रखा जा सकता है।

Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम