‘गुलाल गोटा’ क्या होता है जयपुर राजपरिवार की शाही होली में ,जो खास है ,पढ़े ख़बर

Dr. CHETAN THATHERA
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Jaipur। राजपरिवार की शाही होली  (Jaipur Royal holi of royal family)में खास जगह रखता था ‘गुलाल गोटा'(Gota gulal)। पांच ग्राम लाख से बनने वाला यह गोटा गुलाल से भरा होता था और यहां के राजा भी इससे होली खेलते थे। यह भी कहा जाता है कि राजा कभी हाथी पर सवार होकर जब प्रजा के बीच होली खेलने निकलते थे तो इन्हीं गुलाल गोटों से वे जनता पर रंग बरसाते थे।

जयपुर के इस कलरफुल विरासत (The colorful heritage of Jaipur) का हिस्सा रहे गुलाल गोटा का चलन अब आमतौर पर लगभग बंद हो गया है लेकिन आज भी कुछ लोग इसे जिंदा रखे हुए हैं। इन्हीं लोगों की वजह से जयपुर के साथ देश के अन्य हिस्सों में भी ये गुलाल गोटे रंगोत्सव के शाही अंदाज को जिंदा रखे हुए हैं। होली खेलने का यह अंदाज महज पांच ग्राम लाख और 50 ग्राम गुलाल के साथ उत्साह को दोगुना कर देता है। जयपुर के होली सेलिब्रेशन में ये गुलाल गोटे देसी-विदेशी सैलानियों  (Domestic and foreign tourists) के बीच हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे है।

जयपुर के कई परिवार अपनी खास कारीगरी से गुलाल गोटे तैयार करते हैं। ये गुलाल गोटे पूरी तरह से लाख से बने होते हैं, एक गोटे में महज 5 ग्राम लाख का इस्तेमाल होती है। लाख को पिघला कर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं फिर गोलियों में हवा भरी(फूंकनी के जरिए) जाती है। गुबारे की तरह फुलाते हुए इसे रंग भरने के लिए तैयार किया जाता है। जब गोटा तैयार हो जाता है तो इसमें 20 से 30 ग्राम तक गुलाल भरी जाती है।

यह गुलाल गोटे रंग-बिरंगे रगों में बेहद आकर्षक लगते हैं। इनके साथ होली खेलने वाले न सिर्फ रंगों से बल्कि खुशबू से भी नहा जाता है। आमेर के राजा ने इन्हें अपनी प्रजा के साथ होली खेलने के लिए प्रोत्साहन दिया और मनिहारों को जयपुर में बसाया था। वर्तमान में पिंकसिटी के मनिहारों के रास्ते में ही ये गुलाल-गोटे बनाए जाते हैं। आज भी कुछ परिवार अपने पुस्तैनी गुलाल गोटे बनाने के काम को जारी रखे हुए हैं।

पलाश के फूलों से बने हर्बल गुलाल से भी महकेगी राजधानी

गुलाबी नगरी जयपुर की होली इस बार विभिन्न रंगों के साथ पलाश के फूलों से बने हर्बल गुलाल से भी महकेगी। वहीं परंपरागत गुलाल गोटा भी लोगों को प्रंसद आ रहा है। वहीं पलाश के फूलों से बने हबेल गुलाल की सुंगंध शहरवासियों के मन मे उतरती जा रही है। इस बार गुलाल की बहुतयात में कई ब्रिकी के कारण गुलाबी नगरी की होली हर्बल गुलाल से महकेगी।

 

गौरतलब है कि हर्बल गुलाल के प्रति लोगों का रूझान बढने से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला है। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं कई दिनों से होली के लिए पलाश के फूलोें से हर्बल गुलाल कर रही है। वहीं इधर कोरोना महामारी के दूसरे फेज में बढते मरीजों की संख्या को देखते हुए व्यापारी वर्ग इस बार होली में रंग- गुलाल का व्यापार करने में असमंजस्य में स्थिति बनी हुई है। उनका कहना है कि जिस तरह से सरकार ने नाईट कर्फ्यू लगा दिया है और आगे आने दिनों में रंग-गुलाब पर बैन न लगा दे।

News Topic :Gota gulal,Royal holi of royal family,The colorful heritage of Jaipur

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम