ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कांगेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अधिकारियों को आतंकित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वे बार-बार अधिकारी, कर्मचारियों को मौखिक चेतावनी दे रहे है, जो राजकार्य में बाधा फैलाने जैसा है। बयानों से अधिकारियों का मनोबल तोडऩे के प्रयासों की जितनी निंदा की जायें, उतनी कम है। ज्ञात हो कि गहलोत ने बुधवार को ही प्रेसवार्ता कर अधिकारियों को सतर्क रहने चेतावनी देते हुए कहा था कि सरकार का कुछ समय का ही कार्यकाल बचा हुआ है, ऐसे में अधिकारी दवाब में कोई गलत कार्य ना करें।
पंचायतराज मंत्री बुधवार को भाजपा मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर पूर्व सीएम पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि गहलोत सबसे कम जनता के बीच में जाने वाले, विधानसभा में सबसे कम बोलने वाले एवं पिछले साढ़े चार वर्षों में किसी भी आन्दोलन का नेतृत्व नहीं करने वाले नेता की छवि सामने आई है। इससे यह भी पता चलता है कि कांग्रेस आलाकमान ने अक्षमता के कारण राजस्थान में गुटबाजी के चलते उन्हें राजस्थान की राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाया है।
उन्होंने राजनीतिक दलों को भूमि आवंटित करने के गहलोत के आरोप पर कहा कि देश के अंदर पहली सरकार है जिसने भूमि आंवटन के लिए पारदर्शी राजस्थान नगर पालिका भूमि आंवटन नीति बनाई है। इसके तहत वे सभी राजनीतिक दल जो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है। वे डीएलसी से 15 प्रतिशत अधिक राशि देकर जमीन आवंटित करा सकते हैं। भाजपा को इसी नियम के तहत ही जमीने आवंटित हुई है। उन्होंने कहा कि इस नियम के अंतर्गत कांग्रेस भी जमीन आवंटन के लिए आवेदन करती है तो उसे भी सरकार जमीन देगी।
प्रदेश में पीने के पानी की किल्लत पर राठौड़ ने कहा कि 13 जिलों में इंदिरागांधी नहर से पानी की सप्लाई होती है लेकिन रखरखाव के लिए एक माह के लिए नहर बंदी होती है। नहर बंदी समाप्त हो गई है। नहर में पानी छोड़ा गया है। पानी की किल्लत जल्द समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा भी प्रदेश के अन्य स्थानों पर सरकार टैंकर के जरिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सप्लाई करवा रही है। राठौड़ ने दावा किया है कि प्रदेश में अपराधों में लगातार कमी आ रही है। पिछले साल की तुलना में आठ फीसदी अपराध कम हुए हैं। खान एवं बजरी माफिया पनपने के गहलोत के आरोप पर राठौड़ ने कहा कि पिछले कांग्रेस शासन में 130 खानों की नीलामी की गई, जिनकी पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है।