
Jaipur News। राजस्थान में शराब पर पाबंदी लगाने का कोई प्रस्ताव गहलोत सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है। प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में शराब की बिक्री पर रोक लगाने का कोई विचार नहीं है। सरकार शराब पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाएगी।
विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने साफ तौर पर मान लिया है कि शराब के शौकीन लोगों को अच्छी क्वालिटी की शराब बेचकर ज्यादा से ज्यादा पैसा सरकारी खजाने में लाना उसका मकसद है। भाजपा विधायक मदन दिलावर के सवाल का पिछले दिनों लिखित जवाब देते हुए सरकार ने यह कबूल किया।
राजस्थान सरकार पहले भी शराब पर पाबंदी लगाने की जगह मद्य संयम की नीति अपनाने की बात कहती रही है। शराब को लेकर सरकार की मंशा पर इस तरह का खुला जवाब पहली बार आया है, जब सरकार ने मान लिया है कि शराब से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना ही उद्देश्य है।
राजस्थान सरकार ने इस साल शराब से 13 हजार करोड़ की आय का लक्ष्य रखा है। शराब सरकारी आय का बड़ा जरिया है। भाजपा विधायक मदन दिलावर का सवाल था कि गंभीर हादसे होने के बावजूद क्या शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित करना उचित और अनिवार्य नहीं है?
इस पर सरकार ने लिखित जवाब दिया कि राज्य में मद्य संयम नीति लागू है, जिसके तहत अवैध मदिरा गतिविधि पर कार्रवाई की जाती है। मदिरा उत्पादों पर नियंत्रण रखते हुए मदिरा उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त शराब उपलब्ध कराने के साथ समुचित राजस्व का अर्जन किया जाना उद्देश्य है। वर्तमान में राज्य में शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
प्रदेश में शराब बंदी की मांग करते हुए अनशन के दौरान पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा की मौत हो गई थी। उस समय इस पर खूब सियासी विवाद हुआ था। गुरुशरण छाबड़ा की मौत के बाद उनके परिजन अब भी शराबबंदी की मुहिम चलाए हुए हैं।
सरकार ने शराबबंदी को लेकर एक कैबिनेट सब कमेटी भी बनाई थी, जिसने अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन किया था। सब कमेटी की राय भी शराबबंदी की जगह मद्य संयम रखने की थी। प्रदेश में जगन्नाथ पहाड़िया के मुख्यमंत्री रहते हुए शराबबंदी की गई थी लेकिन कुछ महीने बाद ही यह मॉडल फेल हो गया और फैसला वापस लेना पड़ा।