
जयपुर। प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार गड़बड़ी और पेपर आउट होने को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही गहलोत सरकार अब प्रदेश में भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी रोकने के लिए केरल राज्य के भर्ती मॉडल को लागू करने पर विचार कर रही है। हालांकि भर्ती मॉडल को लागू करने से पहले सरकार की एक कमेटी केरल जाकर केरल लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली का अध्ययन करेगी और उसके बाद ही केरल मॉडल राजस्थान में लागू होगा।
2 अगस्त को केरल दौरे पर जाएगी कमेटी
दरअसल सरकार की ओर से 22 जुलाई को चार वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है, जिनमें कार्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव रामनिवास मेहता, राजस्थान लोक सेवा आयोग के संयुक्त शासन सचिव आशुतोष गुप्ता, कार्मिक विभाग के शिव प्रसाद और कृषि विपणन के अतिरिक्त निदेशक जय सिंह को कमेटी में सदस्य बनाया गया है।
यह कमेटी 2 अगस्त से 5 अगस्त तक केरल जाकर केरल राज्य लोक सेवा आयोग और उसके क्षेत्रीय जिला कार्यालयों का दौरा करके उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करेगी और उसकी एक रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपेगी। रिपोर्ट पर विचार करने के बाद ही मुख्यमंत्री गहलोत केरल मॉडल को राजस्थान में लागू करेंगे।
जस्टिस व्यास ने अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंपी
भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने और सुधार के लिए सरकार की ओर से जस्टिस विजय कुमार व्यास की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने भी अपने सुझावों का एक प्रतिवेदन 12 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दिया है।
समिति ने अपने प्रतिवेदन में केरल राज्य लोक सेवा आयोग को अन्य समानार्थ भर्ती संस्थाओं से अपेक्षाकृत बेहतर माना है, जिसके बाद ही सरकार ने केरल राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से अपनाई जा रही संपूर्ण परीक्षा प्रणाली के अध्ययन के लिए चार अधिकारियों की कमेटी गठित करके उन्हें 2 अगस्त को केरल जाकर अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि आरएसएस भर्ती परीक्षा, पटवारी, एलडीसी, पुलिस कांस्टेबल परीक्षा, रीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर आउट और गड़बड़ी के कई मामले सामने आए हैं।
जिसके चलते सरकार विपक्ष के निशाने पर रही हैं, रीट पेपर, पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के चलते सरकार को परीक्षा भी स्थगित करनी पड़ी थी। रीट पेपर लीक मामले में तो तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई अन्य मंत्रियों पर भी विपक्ष की ओर से आरोप लगाए गए थे।