जयपुर । प्रदेश में दलित अत्याचार के बढ़ते मामलों के बाद सरकार के खिलाफ मुखर हो चुके बसेड़ी से कांग्रेस विधायक और एससी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी लाल बैरवा को संतुष्ट करने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है, सरकार आगामी विधानसभा सत्र में एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का बिल पेश करेगी और उसके बाद सदन में बिल पारित कराकर संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही विशेष शक्तियां भी देगी।
एससी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी बैरवा लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं कि ऐसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए,जिसके बाद संवैधानिक दर्जा देने की फाइल सरकार में सरपट दौड़ रही है। हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग से भी एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की फाइल का अनुमोदन हो चुका है जिसके बाद फाइल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा गया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के मंत्री टीकाराम जूली ने भी इस बात की पुष्टि की है।
मंत्री टीकाराम जूली ने भी मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की फाइल उनके विभाग से निकल चुकी है और अब जल्द ही उसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा, जहां कैबिनेट की मंजूरी के बाद आगामी 19 सितंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इस बिल को रखा जाएगा और वहां पर बिल पारित होने के बाद आयोग संवैधानिक दर्जा देने का कानून बन जाएगा। साथ ही कई विशेष शक्तियां भी आयोग को मिल जाएंगी।
मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान पहला राज्य होगा जब एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही विशेष शक्तियां भी प्रदान की जाएंगी, इससे एससी वर्ग के लोगों के समस्याओं और उनकी शिकायतों का निस्तारण करने का काम भी होगा। साथ आयोग को सुनवाई करने और अन्य अधिकार भी प्राप्त होंगे।
वहीं दूसरी ओर संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद एससी आयोग के चेयरमैन को राज्य मंत्री या कैबिनेट मंत्री के दर्जा मिलने के सवाल को मंत्री टीकाराम जूली टाल गए। मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इसका फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही करेंगे और नियमों के तहत मंत्री का दर्जा दिया जाएगा या नहीं उसे देखा जाएगा।