जयपुर
राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस आलाकमान को काफी मशक्कत करनी पड़ी अशोक गहलोत या सचिन पायलट दोनों में से कौन सीएम बने इसका फैसला लेना काफी मुश्किल था फिर सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के लिए तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन गहलोत और सचिन को एक मंच पर लाने का काम किया भंवर जितेंद्र सिंह ने जो कि इस बार राहुल के हनुमान बने।
पूर्व गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह का कद केंद्र के बाद अब प्रदेश में भी बढ़ने लगा है चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के घमासान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री के विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी राहुल गांधी के करीबी जितेंद्र सिंह को मिली फिर क्या था जितेंद्र सिंह ने दोनों से बातचीत की और इसका समाधान निकाल दिया जैसे ही बातचीत के बाद तीनों लोग बाहर निकले तो जितेंद्र सिंह ने मीडिया की तरफ विक्ट्री का साइन दिखाया तो वहीं सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस व बैठकों में जितेंद्र सिंह नजर आए।
गहलोत को मुख्यमंत्री पद देने में कांग्रेस को लंबा समय लगा इसकी वजह पायलट की नाराजगी रही. सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत व सचिन पायलट में से कोई भी मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं था, ऐसा लग रहा था कि विवाद खत्म नहीं होगा पार्टी में अंदरुनी कश्मकश चल रही थी।
लेकिन फिर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राहुल गांधी के करीबी जितेन्द्र सिंह ने संकट मोचक की भूमिका निभाई शुरुआत में कांग्रेस की ओर से पायलट को उप मुख्यमंत्री के पद का ऑफर दिया गया था, लेकिन वे नहीं मान रहे थे फिर भंवर जितेन्द्र सिंह को उन्हें मनाने का जिम्मा दिया गया. वे इसमें कामयाब भी रहे।
जितेन्द्र सिंह और सचिन पायलट की मुलाकात हुई यह मुलाकात काफी अहम रही. क्योंकि इसी मुलाकात के बाद सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री पद लेने के लिए राजी रहे. सहमति बनने के बाद ये दोनों राहुल गांधी से मिले इस दौरान अशोक गहलोत भी वहीं मौजूद थे चारों की मौजूदगी में इस बैठक में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री पद पर सहमति बनने के बाद इस ड्रामे का अंत हुआ।