जयपुर/ राजस्थान में चिकित्सा विभाग के बाद सबसे बड़ा महत्व शिक्षा विभाग का माना जाता है और शिक्षा विभाग में हर साल तबादलों को लेकर सरकार और अधिकारियों के समक्ष चुनौती रहती है और कोई फार्मूला तय नहीं होने से कई जगह से होते हैं जान अतिशेष शिक्षक लग जाते हैं और कई जगह सी होती है जहां शिक्षकों की कमी रह जाती है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 साल पहले भी शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादलों के लिए फार्मूला नीति निर्धारण के लिए सेवानिवृत्त आईएएस ओंकार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी जो देश के विभिन्न प्रदेशों का भ्रमण कर वहां की शिक्षा तबादला नीति का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी और उसी आधार पर राजस्थान में शिक्षा विभाग में तबादला नीति अर्थात फार्मूला तय होगा लेकिन इस पर 3 साल बीत जाने के बाद भी कोई अमल नहीं हो पाया तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस और पहल करने के प्रयास किए लेकिन वह भी अधूरे रह गए थे।
अब नवनियुक्त वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा चार बार शिक्षा मंत्रालय का प्रभार संभाल चुके और पांचवी बार शिक्षा मंत्री बने डॉक्टर बी डी कल्ला ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों को राहत देने के लिए एक बार फिर से तबादला नीति अर्थात फार्मूले की कवायद शुरू की है।
शिक्षा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला का मानना है कि थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले अब तबादला नीति बनने के बाद ही किए जाएंगे । उनका कहना है कि तबादला नीति में विधवा परित्यक्ता, गंभीर रोगियों, विशेष श्रेणी शिक्षकों तथा सेवानिवृत्ति में 1 वर्ष से कम समय रहने वाले शिक्षकों को तबादला नीति अर्थात नए फार्मूले में राहत दी जाएगी।
देश में वर्तमान में आंध्र प्रदेश गुजरात कर्नाटक केरल में शिक्षकों के तबादलों के लिए तबादला नीति बनी हुई है तथा एक फार्मूला बना हुआ है गुजरात में एक शिक्षक अपने पूरे सेवाकाल में दो बार पारस्परिक तबादला करवा सकता है एक बार तबादला होने के बाद 2 साल से पहले वह अपना तबादला नहीं करवा सकता सेवानिवृत्ति से 1 साल कम वाले शिक्षक अपने गृह जिले में तबादला करवा सकते हैं तो इसी तरह आंध्र प्रदेश में ग्रीष्मकालीन अवकाश में ही तबादले किए जाते हैं ।