जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि राजस्थान में जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से तमाम मुद्दों पर यह सरकार घिरी हुई है। यह सरकार जब भी अपने पाप छिपाने की कोशिश करती है तो कोई ना कोई नई बात सरकार के खिलाफ उजागर हो जाती है। सरकार को कांग्रेस पार्टी की अन्र्तकलह ले डूबेगी।प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले एक सियासी एपिसोड के दौरान राजस्थान में सियासी पारा बहुत ऊंचा था। सरकार अपना अस्तित्व बचाने के लिए मशक्कत कर रही थी। उस दौरान भाजपा पर अनेकों बार झूठी तोहमत लगाने की कोशिश हुई, लेकिन उस पूरे नाटक के नायक-खलनायक मुख्यमंत्री गहलोत थे।
डॉ. पूनियां ने कहा कि 15वीं विधानसभा के 5वें सत्र में भाजपा विधायक द्वारा एक प्रश्न पूछा गया, जो गोपनीयता से सम्बन्धित है। आमतौर पर जो प्रश्न पूछे जाते हैं उनका एक माह के भीतर जवाब आ जाता है। यह प्रश्न अगस्त 2020 में पूछा गया और अब उसका जवाब आया है। भाजपा विधायक ने फोन टैपिंग के मामले में जानकारी चाही थी। सरकार ने उसका गोलमोल जवाब दिया है। सियासी घटनाक्रम के समय भी प्रश्न यह था कि क्या कोई फोन टैपिंग हुई है? और उस समय इस बात की चर्चा हुई तो सक्षम अधिकारियों ने, मुख्य सचिव एवं उनके निचले स्तर तक के अधिकारियों ने इस बारे में मना कर दिया। तब मुख्यमंत्री ने सदन में इस बात के लिए साफ-साफ इनकार किया कि राजस्थान में कभी ऐसी परम्परा रही नहीं। सदन में कही गई बात, अधिकारियों द्वारा कही गई बात और अनेक बार चर्चा हुई और अनेक प्रसंगों में यह साबित हुआ कि कहीं ना कहीं फोन की टैपिंग जरूर हुई है। उस दौरान भी इस तरह की टैपिंग के मसले आए तो हमने कई बार पूछा कि इसका सोर्स क्या है?
डॉ. पूनियां ने कहा कि अब सरकार ने फोन टैपिंग की बात को स्वीकार कर लिया है। यह स्वीकारोक्ति है राजस्थान पुलिस की, जो विधानसभा के प्रश्न के जवाब में है। जनवरी 2020 से अगस्त 2020 तक कितने फोन टेप किये गये? इस बारे में सरकार इनकार करती रही, लेकिन इस बारे में जानकारी मिलेगी तो सारी चीजें स्पष्ट हो जाएगी। पूनियां ने कहा कि फोन टैपिंग का यह सामान्य मसला नहीं है। राजस्थान के मुख्यमंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में इस प्रकार की परम्परा नहीं है, तो मुख्यमंत्री बताएं कि यह परम्परा किसने तोड़ी और इस परम्परा को तोडऩे की वजह क्या है? मुख्यमंत्री खुद इसके दोषी हैं और उस समय जब मीडिया में ऑडियो टेप सामने आने की खबरें आई थी तो कांग्रेस के कई विधायकों ने इस मामले की एनआईए से जांच कराने की मांग की थी।
डॉ. पूनियां ने कहा कि सदन में भी इस बारे में भी झूठ बोला गया, तथ्यों के बारे में भी भ्रांतियां फैलाई गई, तो स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं, उनको नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जो खुद गृहमंत्री भी हैं। इस मामले की सीबीआई से जांच करवानी चाहिए। आमतौर पर सरकारों में पूर्णकालिक गृहमंत्री कार्य करते रहे हैं, लेकिन इस सरकार में पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं है।
डॉ. पूनियां ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है, अब तक 6 लाख 14 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 80 हजार से अधिक महिला अपराधों से सम्बन्धित हैं और 12 हजार से अधिक रेप एवं गैंगरेप के मामले हैं। आमतौर पर जनता बेखौफ होकर सोती है और राजा उसकी सुरक्षा के लिए जागता है, लेकिन प्रदेश में अराजक हालात बने हुए हैं, ऐसे में राजा सो रहा है और जनता खौफ में जी रही है, सो नहीं पा रही है। कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री लीपापोती करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे, जनघोषणा पत्र में बहन-बेटियों को सुरक्षा देने का वादा किया था, जिसे वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में नैतिक आधार पर उनको पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।