जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में नेताओं की ओर से भले ही एकजुटता के दावे किए जा रहे हो लेकिन अशोक गहलोत कैंप और सचिन पायलट कैंप के बीच चल रही बयानबाजी से साफ जाहिर है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं हैं और आने वाले दिनों में फिर से कोई बड़ा सियासी घमासान पार्टी में देखने को मिल सकता है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद जिस तरह से उनके खास सिपहसालार शांति धारीवाल की ओर से सचिन पायलट पर हमला बोला गया उसको लेकर अब कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी चर्चाएं चल पड़ी हैं। चर्चा इस बात की है कि प्रदेश में डेढ़ साल के बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव क्या गुटबाजी से जीतेंगे? एक और जहां मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट एकजुटता की बात करते हुए साल 2023 में फिर से सरकार रिपीट होने के दावे करते हैं लेकिन जिस तरह से बयान बाजी चल रही है उससे कहीं न कहीं जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
गुटबाजी से पार पाना बड़ी चुनौती
दरअसल प्रदेश कांग्रेस के साथ ही पार्टी आलाकमान के सामने भी गुटबाजी से पार पाना बड़ी चुनौती है। पार्टी ने भले ही अभी से ही मिशन 2023 की तैयारियां शुरू कर दी हों लेकिन जब तक गुटबाजी से पार नहीं पाएंगे तब तक मिशन 2023 का सपना सफल नहीं होगा।
सबसे बड़ी परेशानी तो पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने है जहां पार्टी कार्यकर्ता भी गुटबाजी को लेकर असमंजस में हैं कि आखिर साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
धड़ों में बंट चुकी है कांग्रेस
पार्टी के लिए सबसे बड़ी परेशानी यही है कि प्रदेश कांग्रेस इन दिनों धड़ों में बंट चुकी है। इनमें एक खेमा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है तो दूसरा खेमा सचिन पायलट का है। तीसरा खेमा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी और चौथा खेमा पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का है।
ऐसे में चर्चा यही है कि आखिर एकजुटता के दावे करने वाले गुटबाजी दूर करने की बात क्यों नहीं करते।
सरकार बनने के बाद से ही गुटबाजी हावी
कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही गुटबाजी हावी है। तब से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच रह-रहकर बयानबाजी का दौर चल रहा है, सियासी संकट के दौरान भी दोनों खेमों के बीच जमकर बयानबाजी का दौर चला था।
हालांकि तब कांग्रेस आलाकमान की ओर से हस्तक्षेप करके दोनों खेमों को एक मंच पर लाने की प्रयास किए गए थे लेकिन बावजूद इसके गुटबाजी और बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है।
धारीवाल की बयानबाजी के मायने
इधर सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले शांति धारीवाल की ओर से सचिन पायलट को निशाना लेने के बाद सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं। राजनीतिक प्रेक्षको प्रेरकों का भी मानना है कि कि धारीवाल का बयान एक रणनीति के तहत आया है, जिससे मुख्यमंत्री बदलने चर्चाओं पर विराम लगाने के साथ ही कांग्रेस आलाकमान को भी संदेश दिया जा सके कि पार्टी के तमाम विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़े हैं।