
जयपुर
लोकसभा चुनाव में करारी हार के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार ठहराने वाले टोडाभीम विधायक पीआर मीना के बयान के बाद जयपुर से लेकर दिल्ली तक खलबली मची हुई है। इन दिनों प्रदेश में बयानबाजी का दौर थमने का नहीं ले रहा वहीं हाईकमान डैमेज कंट्रोल में जुटा है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पीआर मीना को दिल्ली तलब किया है वहीं, प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डे ने मीडिया में किसी प्रकार की बयानबाजी नहीं करने की अपील की है।
विधायक की बयानबाजी से नाराज पार्टी के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने गुरूवार को मीणा को नोटिस भेजा हैं। वहीं प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी पीआर मीणा से फ ोन पर बात करते हुए बयानबाजी करने के लिए टोका हैं। पीआर से पूछा गया तो उन्होंने फोन पर पांडे से बात होने की पुष्टि की है, लेकिन कहा कि मैंने जो कहा पार्टी हित में कहा था। साथ ही यह भी कहा कि मुझे अभी तक किसी तरह का कोई नोटिस नहीं मिला हैं। हो सकता है मैं मेरे निर्वाचन क्षेत्र में आ गया हॅू और पीछे से जयपुर में घर पर किसी ने दिल्ली जाने की बात कह दी हो।
टोडाभीम से कांग्रेस विधायक पीआर मीणा ने मुख्यमंत्री गहलोत का प्रभाव खत्म होने व सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने का बयान दिया था। साथ ही लोकसभा चुनावों में हार की सबसे बड़ी वजह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बनाया जाना बताई थी। उन्होंने इस हार की जिम्मेदारी प्रदेश के मुख्यमंत्री यानी अशोक गहलोत को लेने की भी बात कहीं।
पूर्व डीजीपी और उनियारा-देवली से कांग्रेस विधायक हरीश मीना ने पुलिस के रवैए को लेकर गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
मीना ने गुरुवार को सुबह एक के बाद एक तीन ट्वीट कर पुलिस को घेरते हुए कहा है कि वह अपराध रोकने की बजाय मीडिया मैनेज कर रही हैं। विधायक ने अपने ट्वीट्स में कहा कि राजस्थान में अपराधों में अचानक बढ़ोतरी हुई हैं, इससे सरकार की बदनामी हो रही है। अब बहाने करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जवाबदेही तय करने की जरुरत हैं।
विधायक मीणा ने अलवर के थानागाजी गैंगरेप केस और टोंक के हरभजन मर्डर केस का उदाहरण देते हुए कहा कि इनमें पुलिस की कार्रवाई का स्तर शर्मनाक रहा। उन्होंने कहा पुलिस अपराधियों को पकडऩे की बजाय पीडि़तों को ही प्रताडि़त कर रही हैं। नेतृत्व को गलत जानकारी दी जा रही हैं।
उल्लेखनीय है मीणा हाल ही में टोंक में ट्रैक्टर चालक हरभजन की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में तीन दिन तक धरना-प्रदर्शन और बाद में आमरण अनशन कर चुके है। यह मामला जैसे-तैसे निपटा था कि अब मीणा ने फि र पुलिस को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है।