भारत में हर साल 15 करोड महिलाएं मेनोपाॅज/ पीरियड से गुजरती, क्या है लक्षण और भी जानकारी जानें

Every year 15 crore women in India go through menopause / period, what are the symptoms, know more information

जयपुर/ भीलवाड़ा/ मेनोपॉज अर्थात पीरियड जिसे समाज में आम बोलचाल में रजोनिवृत्ति या महीने का रुकना कहते हैं और समाज यह मानकर चलता है कि पीरियड्स का ना होना मतलब स्त्री के ठप होने का समय हो गया है वैसे तो मेनोपॉज एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया और हर स्त्री एक आयु के बाद इस स्थिति से गुजरती है लेकिन क्या इसके बाद स्त्री वाकई में ठप हो जाती है ? 

साइकोलॉजिस्ट चिकित्सकों के अनुसार बढ़ती उम्र की महिलाओं को हमारा समाज ध्यान देने योग्य नहीं समझता इस उम्र की महिलाओं को अनदेखा करना और उनकी हंसी उड़ाना आम बात है।

गायनोकोलॉजिस्ट चिकित्सकों के अनुसार जब इस तरीके पीरियड्स बंद होने लगते हैं तो यह असुविधाजनक स्थिति होती है इसमें वह शारीरिक रूप से तैयार नहीं होती है लेकिन मानसिक रूप से तैयार होती है वह जानती है कि ऐसा एक दिन तो होना ही है मेनोपॉज की स्थिति में पहुंचने पर एक महिला का शरीर कैसा अनुभव करेगा और वे स्वयं कैसा महसूस करेगी इसका उसे अंदाजा नहीं होता।

वह इस स्थिति में उस अनिश्चितता के बीच खींची रहती है और हमारा समाज से असमर्थ करार देता है जबकि वास्तव में पीरियड्स की जरूरत और कनेक्शन केवल बच्चे पैदा करने से ही होता है ।

मेनोपॉज के दौरान शरीर में होता हारमोंस का उत्पाद से क्रोधित चिड़चिड़ा और स्वयं से नाराज बनाता है लेकिन यह समाज की ही सोच और संघ के नेता है जो महिला को इस समय पागल चुड़ैल जैसी नजरों से देखता है ।

उसकी नाराजगी और गुस्सा में घर पर समझा जाता है और ना बाहर जबकि दूसरी और पुरुषों के मामले एकदम उल्टा है अगर पूछ क्रोधित या एंग्री में होगा तो उसे समाज मजबूत ताकत और निर्णय की स्थिति में देखता है।

आमतौर पर देखा जाता है कि महिला हमेशा दूसरों की जरूरतों पर ध्यान देती है बजाय इसके कि वह कभी अपनी जरूरत पर भी ध्यान नहीं देती मेडिकल मदद की बजाय वह अपने शरीर में हो रहे बदलावों से चुपचाप लड़की रहती है।

और उसके साथ शाम 10:00 से करने की कोशिश करती रहती है उम्र के इस दौर में पहुंची महिला के लिए कहा जाता है कि इन तिलों में तेल नहीं लेकिन उम्र की कोई उम्र नहीं होती भावनाओं पर कोई जरिया नहीं पड़ती हां यह जरूर की सोच पर सलवटे जरूर पड़ जाती हैं तो समाज में देखने को मिलती है।

गायनोकोलॉजिस्ट चिकित्सकों के अनुसार भारत में अधिकांश महिलाओं को 47 साल से 49 साल के उम्र के बाद कभी भी मेनोपॉज दस्तक दे सकता है और अगर 1 साल तक पीरियड से नहीं आए तो मेनोपॉज माना जाता है ।

मेनोपॉज की स्टेज

1– यह 40 की आयु के बाद शुरू होती है और इस समय रिप्रोडक्टिव हारमोंस कम होने लगते है इस कारण पीरियड्स अनियमित होते है । 

2– पेरिमेनोपॉज यह स्टेज तब तक चलेगी जब तक पीरियड्स पूरी तरह बंद नही हो जाते ।अमेरिकन मेनोपॉज सोसायटी के अनुसार यह बदलाव का दौर 4 से 8 साल तक चल सकता है ।

3– पीस्ट मेनोपॉज यह स्टेज मे ओवरी काम करना बंद कर देती है और पीरियड्स पूरी तरह से रूक जाते है और एक फार तक पीरियड्स नही आए तो चिकित्सक मान लेते है की महिला का मेनोपॉज हो चुका है । 

मेनोपॉज के लक्षण

चिड़चिड़ापन,भूलना,डिप्रेशन,एंग्जाइटी,मूड स्विंग,अचानक गर्मी लगना, किसी काम मे मपन नही लगना,चेहरे पर अनचाहे बाल उगना, चमडी का सूखना( स्किन ड्राइनेस),वजाइनल ड्राइनेस, सोने मे परेशानी,सिरदर्द,जोडो मे दर्द,वजन बढना,बालों का झडॅआ / पतला होना, आंखो मे ड्राइनेस 

मेनोपॉज मे कौनसे हारमोंस कम होते 

एस्ट्रोजन,प्रोजेस्टेरोन,टेस्टोस्टेरॉन,फाॅलिकल स्टिमुलेटिंग,ल्यूटिनाइजिंग हारमोंस 

कैसे पता चलता है की मेनोपॉज 

1– एक साल से लगातार पीरियड्स नही हुए हो तो एक Anti Mullerian Hormone (AMH) Test होता है ।।

2– ब्लड जांच मे फाॅलिकल स्टिमुलेटिंग हारमोंस का लेवल 30mlu/mL या इससे अधिक आए तो मेनोपॉज हो चुका है। 

3– थायरायड फंक्शन जांच, ब्लड लिपिड प्रोफाइल, लिवर फंक्शन जांच और hCG जांच होता है।