जयपुर
प्रदेश में बहुप्रतीक्षित बिजली के मासिक बिल अब जयपुर में भी शुरू हो गए हैं। दिसम्बर में एचसीएल कम्पनी का काम पूरा होने और मासिक बिलिंग के लिए बनाए गए साफ्टवेयर तैयार होने के बाद अब राजधानी में उपभोक्ताओं को मासिक बिल दिए जा रहे हैं। इसके लिए स्पॉट बिलिंग व्यवस्था लागू की गई है, इसमें मीटर रीडर हाथों हाथ ही बिल थमा रहें हैं। बिल जमा कराने की व्यवस्थाओं में कोई बदलाव नहीं किया गया। उपभोक्ताओं को बिल जमा कराने के लिए 15 दिनों का समय दिया जा रहा है।
बिजली उपभोक्ताओं को मासिक बिलिंग के लिए राजस्थान विद्युत नियामक आयोग ने आदेश दिए थे। वर्ष 2016 में बिजली दरें बढाने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद नियामक आयोग ने एक अप्रैल 2018 से मासिक बिलिंग शुरू करने के आदेश दिए थे। इसके बाद डिस्काम ने व्यवस्थाओं में बदलाव कर मासिक बिलिंग शुरू की है।
मासिक बिलिंग को लेकर सोश्यल मीडिया पर जमकर भ्रांति फैलाई जा रही है। सोश्यल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज में बताया जा रहा है कि अब एक माह के बिल में जो स्थाई शुल्क जुडकर आ रहा है वह पहले दो माह के बिल में आता था, ऐसे में अब उपभोक्ताओं को दो माह में स्थाई शुल्क दो बार देना पडेगा जबकि स्थाई शुल्क पहले भी यूनिट तथा स्लैब के आधार पर ही लगता था और अब भी स्लैब तथा अवधि के अनुसार ही लगता है। इसमें अगर बिलिंग 30 दिनों के स्थान पर 35 दिनों में होती है तो स्थाई शुल्क एक माह और पांच दिन का ही जोडा जाता है।
मासिक बिलिंग के कारण बिजली कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ गया है। पहले जहां बिजली बिलों की शिकायत को लेकर लोग दो माह में एक बार आते थे अब बिलों की त्रुटियों को सही कराने के लिए हर माह लोग आ रहें हैं। इसके साथ ही बिलिंग के अलावा अन्य कार्य करने के लिए कार्मिको को माह में 12 दिनों का ही समय मिल पा रहा है। शेष दिनों तो बिलों को लेकर ही कार्य होता है।
मासिक बिलिंग को लेकर विश्लेषक एकमत नहीं हो पा रहें हैं। इसमें बिजली बिलों को जागरूकता चला रहे एनजीओ से जुडे लोगों का कहना है कि मासिक बिलिंग से लोगों को राहत मिलेगी साथ ही दो माह में एक साथ ही ज्यादा राशि आने से होने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी। वहीं दूसरी ओर डिस्काम को भी हर माह बिजली का भुगतान मिल जाएगा। वहीं दूसरी ओर कर्मचारी नेताओं का मानना है कि एक बिजली बिल बनाने से लेकर संग्रहण तक करीब 30 रुपए प्रति बिल का खर्च आता है, ऐसे में डिस्काम के 8 लाख उपभोक्ताओं के बिलों पर करीब 2.4 करोड का खर्च आ रहा है जबकि दो माह की बिलिंग में यह काम 1.2 करोड में ही हो रहा था।