पांच राज्यों के चुनाव बाद राजस्थान भाजपा में नया देखने को मिल सकता है

Reporters Dainik Reporters
3 Min Read

राजे के नेतृत्व मे चुनाव नही लड़ने पर राजे द्वारा अलग से अपनी पार्टी की घोषणा की जा सकने की सम्भावना।

जयपुर / अशफाक कायमखानी।राजस्थान भाजपा मे वसुंधरा राजे के अलावा अन्य सात नेताओं ने भी पार्टी सत्ता मे आने पर मुख्यमंत्री पद पर टकटकी लगा रखी है। लेकिन उन सातो का स्वयं का कोई बडा राजनीतिक जनाधार ना होकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मर्शी पर सबकुछ निर्भर करेगा।

इन सातो के मुकाबले वसुंधरा राजे का अपने आपमे बडा नाम जनता के मुंह से सुनाई देता है। लेकिन वर्तमान भाजपा मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलावा मोदी-शाह की जोड़ी का आशीर्वाद होना वर्तमान मे किसी को कुर्सी पाने मे आवश्यक माना जाने लगा है।

पांच राज्यों मे हो रहे चुनाव मे उत्तर प्रदेश व उतराखंड मे भाजपा मुकाबले मे बताते है। जहां पर भी भाजपा की सत्ता मे वापसी के संकेत क्षीण होते जा रहे है। राजनीति पर नजर रखने वाले अनेक लोग तो यह कहते है कि जो किसान व युवा पहले भाजपा की ताकत बने थे वो अब भाजपा की कमजोरी साबित हो रहे है।

यही कमजोरी यूपी व उतराखंड मे भाजपा की सत्ता मे वापसी मे अवरोध बन चुका है। बंगाल चुनाव के बाद मोदी व शाह की जोड़ी को झटका लगा था। अब अगर खासतौर पर यूपी व उतराखंड मे भाजपा की वापसी नही हो पाई तो राजस्थान मे वर्तमान मे अलग थलग पड़ी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भाजपा आगे करके चुनाव लड़ने पर मजबूर होगी।

अगर उस स्थिति मे भाजपा ऐसा नही करती है तो राजे के नेतृत्व मे उनके समर्थक तीसरा दल बनाकर चुनाव लड़ेगे तो वो राजे की सेक्यूलर छवि के कारण मजबूत होकर उभर सकते है।
कुल मिलाकर यह है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद राजस्थान भाजपा मे नेतृत्व को लेकर उलटफेर नजर आ सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनीति की दिशा भी तय होगी कि वो 2023 के आम विधानसभा चुनाव मे भाजपा का नेतृत्व करेगी या फिर अलग से अपनी पार्टी बनाकर चुनावो मे ताल ठोक कर भाजपा व कांग्रेस का एक साथ मुकाबला करेगी।यह सब देखना होगा।

Share This Article
[email protected], Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter.