2 साल से ठंडे बस्ते में धूल फांक रही जवाब देही कानून की मसौदा रिपोर्ट, नहीं पहनाया अमलीजामा

Sameer Ur Rehman
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जयपुर। सरकारी कामकाज में लापरवाही बरतने वाले नौकरशाहों और कार्मिकों की जवाबदेही तय करने के लिए गहलोत सरकार की ओर से तैयार की गई जवाब देही कानून की रिपोर्ट को 2 साल के बाद भी अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। 2 साल से रिपोर्ट ठंडे बस्ते में है, जिसके चलते हैं जवाबदेही कानून का मसौदा तैयार होने के बावजूद यह कानून का रूप नहीं ले पाया। पिछले कई सालों से सामाजिक संगठन और सिविल सोसायटी लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जवाब देही कानून लागू करने की मांग करते आ रहे हैं।

सोमवार को सिविल सोसायटी और एनजीओ की कार्यशाला में भी सामाजिक संगठनों से जुड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष जवाब देही कानून को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की थी लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जवाबदेही कानून के मसले पर सवालों को टाल गए। सामाजिक संगठनों का कहना था कि सरकार चाहे कितना भी अच्छा बजट और योजनाएं ले आए लेकिन जब तक अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक योजनाएं मूर्त रूप नहीं ले पाएंगी।

जवाब देही कानून को लेकर हो चुके हैं धरने

वहीं प्रदेश में जवाब देही कानून लागू करने की मांग को लेकर पिछले 3 सालों में सामाजिक संगठनों की ओर से सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय के नेतृत्व में प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन हो चुके हैं। धरने प्रदर्शनों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित होने के बावजूद भी सरकार ने जवाब देही कानून लागू करने को लेकर कोई पहल नहीं की।

2 साल से ठंडे बस्ते में है रिपोर्ट

हालांकि सामाजिक संगठनों और सिविल सोसाइटी के दबाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सितंबर 2019 में जवाब देही कानून का मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राम लुभाया की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दी थी लेकिन आज तक इस रिपोर्ट में काम आगे नहीं बढ़ पाया है, बताया जाता है कि जवाब देही कानून के मसौदे की रिपोर्ट पिछले डेढ़ साल से विधि विभाग में धूल फांक रही है।

कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में किया था जवाब देही कानून का वादा

दरअशल साल 2018 हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश में जवाबदेही कानून लागू करने का वादा किया था और उसके बाद साल 2019 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी जवाबदेही कानून लागू करने की घोषणा की थी।

जवाब दे कानून से तय होगी अधिकारियों और कार्मिकों की जिम्मेदारी

बताया जाता है कि अगर प्रदेश में जवाबदेही कानून लागू हो जाता है तो उसके बाद प्रशासनिक अधिकारी और कार्मिक जनता के काम में लापरवाही नहीं बरत पाएंगे। जवाब देही कानून लागू होने के बाद लापरवाह और बेलगाम अफसरों पर भी लगाम लगेगी। जनता की समस्याओं का तुरंत समाधान होगा। अगर किसी व्यक्ति ने किसी विभाग में किसी काम के लिए आवेदन किया है तो 15 दिनों के भीतर उसकी समस्या का निस्तारण किया जाएगा। अगर 15 दिन के भीतर उसकी समस्या का निस्तारण नहीं होता है तो फिर जिम्मेदार अधिकारियों और कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/