राजस्थान में संविदा कर्मी नियमित नही होंगे  – गहलोत, बनाए नियम क्या पढ़े

File Photo Ashok Gehlot

जयपुर/ कान में लंबे समय से नियमित होने की आस लगाए संविदा कर्मियों को एक बार फिर झटका लगा जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए बनाई गई कमेटी स्क्रीनिंग के बाद आज स्पष्ट कर दिया कि संविदा कर्मी नियमित नहीं होंगे और संविदा कर्मियों के लिए कुछ नियम कमेटी द्वारा बनाए गए हैं क्या है नियम आइए पढ़ते हैं पूरी खबर ।

कार्मिक विभाग ने संविदा नियुक्ति के नियम जारी किए हैं। इन नियमों में संविदा कर्मचारियों की भर्ती से लेकर उन्हें नौकरी से हटाने तक के प्रावधान साफ कर दिए हैं। संविदा पर केवल उन पदों पर ही भर्ती होगी जो नियमित पद नहीं हैं।

सरकारी विभाग वित्त विभाग की मंजूरी के बाद अपने स्तर पर अनुबंध पर कर्मचारी रखेंगे। अनुबंध पर रखे कर्मचारी को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन देकर हटा सकेंंगे। इसके अलावा किसी प्रोजेक्ट पर संविदाकर्मी को नियुक्त किया गया है तो प्रोजेक्ट पूरा होने पर पांच महीने का वेतन देकर उसकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। ऐसे मामले में बचे हुए समय में एक साल पर एक महीने का वेतन मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।

सरकारी विभाग किसी भी कर्मचारी को संविदा पर पांच साल से ज्यादा समय नहीं रखेंगे। पांच साल का अनुबंध पूरा होने के बाद उसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकेगा। इसके साथ ही अनुबंध अवधि खत्म होते ही नियुक्ति खत्म मानी जाएगी। ​

संविदा नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस का आरक्षण लागू होगा। 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को संविदा पर नहीं रखा जा सकेगा। 2002 के बाद जिसके तीसरी संतान हुई, उसे भी संविदा पर नौकरी नहीं मिलेगी। केवल ये संशोधन किया है कि नियमित करने से पहले कमेटी स्क्रीनिंग करेगी। ये नियम भी 5 साल से काम कर रहे संविदाकर्मी के लिए ही लागू होगा।

वेतन मे वृद्धि इस तरह

संविदा पर काम करने वालों को हर साल 5 फीसदी का इंक्रीमेंट मिलेगा। मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए 1500 रुपए, दुर्घटना क्लेम पॉलिसी के लिए 500 रुपए और नेशनल पेंशन स्कीम के लिए आधा पैसा सरकार देगी। संविदा कर्मचारियों को एडहोक बोनस नहीं मिलेगा।​​​​​​​

प्रदेश मे करीब 4 लाख संविदाकर्मी है और इनमे भी सबसे अधिक चिकित्सक एवं शिक्षा विभाग मे है।