जयपुर/ देशभर में कांग्रेस की गिरते जनाधार को लेकर और पार्टी का जनाधार कैसे बड़ी स्कोर लेकर हाल ही में राजस्थान के झीलों की नगरी उदयपुर में संपन्न हुए चिंतन शिविर में कांग्रेस द्वारा लिए गए बड़े बदलाव के निर्णय और फैसलों को लेकर राजस्थान की कांग्रेस नेताओं की चिंता को बढ़ा दिया है अब उनकी राजनीति पर संकट मंडराने के साथ ही उनके वंशवाद को भी कैसे आगे बढ़ाएं इसकी चिंता सता रही है।
चिंतन शिविर में तय हुए फार्मूले एक परिवार एक टिकट और बुजुर्ग नेताओं सेवंती की उम्र तय करने 50% टिकट 50 साल से कम उम्र के नेताओं को देने के फार्मूले ने राजस्थान के मंत्रियों और नेताओं की धड़कनों को बढ़ा दिया है।
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव या फिर पंचायतों के चुनाव जिनमें जिला प्रमुख प्रधान का चुनाव राजस्थान के कई ऐसे कांग्रेश के मंत्री हैं जिन्होंने लोकसभा में अपने परिवार के लिए टिकट मांगा और इसके अलावा इनके परिजन जिलों में और पंचायत समिति में प्रमुख प्रधान सरपंच भी हैं की पार्टी ने इसमें एक रास्ता ऑर्थायु कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी की गली छोड़ी है कि कम से कम 5 साल या इससे पहले यदि परिजन राजनीतिक क्षेत्र में शक्कर हैं तो वह टिकट की दावेदारी कर सकता है अब ऐसे रास्तों के जो पार्टी ने गली निकाली है उसके तहत राजस्थान में कई मंत्रियों के बेटे राजनीति में सक्रिय हैं।
धारीवाल करेंगे पुत्र वधू की पैरवी
गहलोत सरकार के सबसे पावरफुल फर्स्ट शासन मंत्री शांतिलाल धारीवाल पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी आयु को देखते हुए अपनी पुत्रवधू एकता धारीवाल के लिए टिकट की पैरवी की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट दिया अब आने वाले विधानसभा चुनाव में धारीवाल अपने पुत्र वधू को राजनीतिक विरासत सौंपने के मूड में है और उसकी पैरवी कर सकते हैं।
शर्मा करेंगे बेटे की पैरवी
गहलोत सरकार में चिकित्सा मंत्री का पद त्याग कर गुजरात प्रभारी बने और केकड़ी से विधायक डॉ रघु शर्मा के पुत्र सागर शर्मा उनके पिता की विधानसभा क्षेत्र केकड़ी में काफी सक्रिय हैं और आने वाले चुनाव में डॉ रघु शर्मा अपने बेटे के लिए टिकट मांग सकते हैं। गहलोत सरकार के साम्राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई को आने वाले चुनाव में यह निश्चित करना होगा कि वह अपने लिए टिकट की पैरवी करें वापस या अपने बेटे भूपेंद्र विश्नोई की पैरवी करें
गहलोत सरकार के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा अपनी आयु को देखते हुए आने वाले चुनाव में अपने पुत्र कमल मीणा को टिकट देने की पैरवी कर सकते हैं क्योंकि पिछले चुनाव में भी परसादी लाल मीणा ने उनके बजाए उनके बेटे कमल मीणा को टिकट देने की पैरवी की थी लेकिन पार्टी ने प्रसादी लाल को ही टिकट दिया था।
मारवाड़ी की राजनीति में अपना वर्चस्व रखने वाला मदेरणा परिवार के सामने इस बार टिकट को लेकर संकट खड़ा हो सकता है क्योंकि परिवार की बेटी दिव्या मदेरणा वर्तमान में कांग्रेसी विधायक हैं और उनकी माता लीला मदेरणा पिछले 25 सालों से जोधपुर जिला परिषद की सदस्य रही है और वर्तमान में जोधपुर के जिला प्रमुख है अब उनका टिकट कट सकता है।
यह तो कुछ नाम है जिनका उदाहरण दिया गया है इसे पार्टी में और भी नेता व पदाधिकारी हैं जो या तो अपनी आयु के कारण टिकट की दौड़ से या राजनीतिक पद की दौड़ से बाहर हो सकते हैं या फिर वे अपने परिजनों को टिकट दिलाने की लिए उनके सामने संकट आ सकता है