जयपुर। राजस्थान के चुनावी रण में बढ़ती जा रही सियासी गर्माहट के बीच कांग्रेस के भीतर टिकट को लेकर जोर-आजमाइश जारी है। पार्टी दावेदारों की भीड़ के बीच जहां जिताऊ प्रत्याशियों के चयन को लेकर मशक्कत कर रही है वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत अपनी राजनीतिक राह साधने में जुट गए हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी भंवरी देवी प्रकरण के आरोप में जेल में बंद विश्नोई और मदेरणा के परिजनों को टिकट दिलाने के लिए उन्होने पैरवी शुरू कर दी है। गहलोत की पैरवी के बाद से पार्टी के भीतर सियासी तूफान खड़ा होता जा रहा है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस की तरफ से भंवरी देवी प्रकरण के आरोप में जेल में बंद मलखान विश्नोई की 80 वर्षीय मां और महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा को टिकट दिया था। पार्टी के इस निर्णय के बाद प्रदेश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। पार्टी पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप भी लगा था। कांग्रेस के इस निर्णय के चलते पार्टी को राजनीतिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा था। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी गहलोत विश्नोई और मदेरणा परिवार के एक-एक जने को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली में पैरवी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस बार वे विश्नोई के बेटे और मदेरणा की पत्नी या बेटी को टिकट दिलाना चाह रहे हैं।
गहलोत की तरफ से दोनों परिवारों को टिकट दिलाने की पैरवी करने की बात सामने आने के साथ ही सियासी पारा चढ़ गया है। विश्नोई और मदेरणा परिवार के लोगों को टिकट देने की पैरवी की खबरों पर कांग्रेस नेताओं की राय विपरीत ही है। कई नेताओं का कहना है कि ऐसा होने पर एक बार फिर भंवरी प्रकरण चुनाव में उछलेगा। जिससे पार्टी को राजनीतिक नुकसान भी हो सकता है। अशोक गहलोत की सरकार के समय भंवरी देवी प्रकरण के चलते काफी राजनीतिक उठापटक हुई थी। इस मामले में मदेरणा और विश्नोई के जेल में जाने के बाद दोनों के समर्थकों ने गहलोत पर राजनीतिक साजिश तक का आरोप लगाया था।