जयपुर
अकबर और महाराणा प्रताप की महानता को लेकर राज्य में एक बार फिर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि महाराणा प्रताप की महानता पर सरकार के दो मंत्रियों में मतभेद है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को साफ करना चाहिए कि महाराणा प्रताप महान है या नहीं। बता दें कि हाल ही में शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था कि सरकार समीक्षा करेगी कि अकबर महान है या महाराणा प्रताप महान है। डोटासरा ने प्रदेश में सरकारी स्कूल की ड्रेस, शिक्षक तबादला व समायोजन की समीक्षा करने की घोषणा की थी।
भाजपा मुख्यालय में प्रेसवार्ता में देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार शिक्षा का कांग्रेसीकरण और तुष्टीकरण करने में जुट गई है। अकबर एक आक्रांता था, जबकि महाराणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अकबर से जीवन पर्यन्त युद्ध किया। उन्हें महान स्वीकार नहीं करना, दुर्भाग्यपूर्ण है। यह देश और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान होने के साथ ही देशद्रोह के समान है। शिक्षा राज्य मंत्री को महाराणा प्रताप को महान मानने में संकोच है, जबकि केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास कह रहे है कि महाराणा प्रताप महान है। ऐसे में मुख्यमंत्री स्पष्टï करे कि महाराणा प्रताप महान है या नहीं।
डोटासरा के शिक्षा के बंटाधार करने वाले बयान पर जवाबी हमला करते हुए देवनानी ने बताया कि हमने सिलेबस में महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास, महाराजा सूरजमल, पृथ्वीराज चौहान, गोविन्द गुरू, वीर सावरकर, भगत सिंह, दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. ए.पी.ज. अब्दुल कलाम, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले सहित कई महापुरूषों और समाज सुधारकों के पाठ पाठ्यक्रम में शामिल किए। कांग्रेस सरकार ने 2009 में भी पाठयक्रम से स्वतंत्रता सेनानियों के पाठ हटाने का काम किया। हमारे कार्यकाल मेंं प्रदेश की शिक्षा के क्षेत्र में 26वें नम्बर से दूसरे नम्बर पर आया। बोर्ड परीक्षाओं को रिजल्ट 57 प्रतिशत से 80 प्रतिशत हुआ।