जयपुर
प्रदेश में सभी 25 सीटों पर सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
इस कड़ी में पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल और पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा ने एक बार फिर चुनावों को लेकर बयान देकर हलचल पैदा कर दी है। बरहाल अनुशासन का पाठ पढ़ाने और नेताओं की बयानबाजी पर रोक लगानेके लिए जारी हुई कांग्रेस हाईकमान की एडवाईजरी बेअसर साबित हो रही है।
जयपुर लोकसभा प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल ने जयपुर में पार्टी की हार को मोदी लहर का असर न बताते हुए कहा है कि कांग्रेस को कांग्रेस ने ही हराने का काम किया है।
उन्होंने पीसीसी मीडिया चेयरपर्सन और विधानसभा चुनाव में मालवीय नगर से प्रत्याशी रही डॉ. अर्चना शर्मा पर और उनके पति सोमेन्द्र शर्मा पर पार्टी के खिलाफ काम करने और चुनाव हरवाने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि मालवीय नगर विधानसभा की बूथ वाईज जांच करवाएं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। डॉ. शर्मा पर बूथ पर कार्यकर्ताओं को नहीं बैठाने तक का आरोप जड़ दिया। ज्योति खण्डेलवाल ने राहुल गांधी और पीसीसी प्रदेशाध्यक्ष को पत्र भी लिखकर कार्यवाही करने की मांग दोहराई है।
वहीं, पीपल्दा से विधायक और कोटा लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे राम नारायण मीणा ने भी कांग्रेस के नेताओं को हिदायत देने में कोई कमी नहीं छोड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में वरिष्ठïों को तवज्जों नहीं दी जाती। मेेरे जैसे सीनियर को कैबिनेट में मौका नहीं दिया गया। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। इससे पहले कृषि मंत्री कटारिया का इस्तीफा, मंत्री रमेश मीना और उदयलाल आंजना का आत्म मंथन का बयान और पीआर मीणा का सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने के बयान में भूचाल ला दिया था।
बयानबाजी के इस दौर के बीच एआईसीसी महासचिव व प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डे ने अनुशासन की हिदायत देते ही सभी कांग्रेसजनों सेसार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं करने की अपील की और नहीं मानने पर कार्यवाही की हिदायत भी दी। विधायक पीआर मीणा को दिल्ली तलब किया और दूसरी बार पाण्डे ने एडवाइजरी जारी की। बरहाल मौजूदा हालात को देखते हुए लगता नहीं कि अब कोई एडवाइजरी कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी को रोक सके।
सबसे पहले कटारिया का इस्तीफा
चुनाव में पार्टी के हारते ही कांग्रेसी नेताओं की बयानबाजी चरम पर हो गई। सबसे पहले गहलोत के कट्टर समर्थक कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने इस्तीफा तक सौंप दिया। कटारिया ने कहा था कि निर्वाचन क्षेत्र झोटवाड़ा में बुरी तरह हार की वजह से अपना इस्तीफा दिया। उसके बाद कटारिया फोन स्वीच ऑफ कर घूमने चले गए। कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री ने इस्तीफा अस्वीकार कर दिया।
मंत्री रमेश और आंजना ने कहा था हार का आत्म मंथन करें
कृषि मंत्री के इस्तीफे के बाद खाद्य मंत्री रमेश मीणा और सहकारिता मंत्री मंत्री उदयलाल आंजना के बयानों से प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया। दोनों मंत्रियों ने हार को हल्के में नहीं लेने और आत्म मंथन की बात कहीं। आंजना ने जिम्मेदारी तय करने तक का बयान दिया।
पायलट को सीएम बनाने की बयान दिया
टोडाभीम से कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज मीणा ने आग में घी का काम किया। मीणा ने सचिन पायलट को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की बात कह डाली। जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को बीच में आना पड़ा और दिल्ली से अनर्गल बयानबाजी नहीं करने की एडवाइजरी जारी करनी पड़ी।
सीएम-डिप्टी सीएम भी सुर्खियों में
हार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इंटरव्यू और डिप्टी सीएम सचिन पायलट का बयान भी सुर्खियों में रहा।
मुख्यमंत्री ने अपने बेटे वैभव की हार को लेकर एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सचिन पायलट कम से कम जोधपुर में हार की जिम्मेदारी ले। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष व डिप्टी सीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि प्रदेशभर से 50 हजार बूथ से विस्तृत रिपोट मंगवाई जा रही है जिससे हार के कारणों की समीक्षा होगी।
राहुल की उम्मीदों पर फिरा पानी
विधानसभा चुनाव में फतह करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से काफ ी आशाएं थी। मिशन-25 का नारा दिया गया लेकिन मोदी लहर ने 25/0 का स्कोर हो गया। कांग्रेस का खाता नहीं खुला और पूरी उम्मीदे धराशाही हो गई।