
जयपुर
प्रदेश में स्वाइन फ्लू एक बार फिर आम से खास तक पहुंच गया है। शनिवार को पीडब्ल्यूडी विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) वीनू गुप्ता को स्वाइन फ्लू की पुष्टिï हुई है। चिकित्सकीय परामर्श के बाद उन्हें घर पर ही आईसोलेशन में रखा गया है। गुप्ता को पिछले पांच-सात दिनों से सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या थी, जांच कराने पर स्वाइन फ्लू की पुष्टिï हुई। इसके बाद चिकित्सकों ने उपचार शुरू कर उन्हें घर पर ही आराम की सलाह दी है। बता दें कि वीनू गुप्ता राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की पत्नी हैं। वे पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में ही अतिरिक्त मुख्य सचिव थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ब्यूरोक्रेसी में हुए बदलाव के बाद उन्हें पीडब्ल्यूडी विभाग में लगा दिया गया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एसीएस वीनू गुप्ता के साथ ही एसएमएस अस्पताल के आरडी हॉस्टल के 2 रेजीडेंट डॉक्टर भी स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाए गए हैं। इनके अलावा जयपुर के ही निर्माण नगर निवासी एक डॉक्टर में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टिï हुई है। हाल ही दो दिन पहले भी जयपुर की दो महिला डॉक्टरों में स्वाइन फ्लू की पुष्टिï हुई थी। ब्यूरोक्रेट्स और डॉक्टरों में स्वाइन फ्लू की पुष्टिï होने के साथ ही इस बीमारी पर चिकित्सा विभाग की ओर से नियंत्रण के दावों की भी पोल खुलती नजर आ रही है।
नए साल के शुरुआती 5 दिनों में स्वाइन फ्लू ने 5 लोगों की जान ले ली है। पांचों मृतक जोधपुर के हैं। वहीं 167 मरीज पॉजीटिव पाए जा चुके हैं। इनमें सर्वाधिक मरीज जयपुर और जोधपुर से हैं। चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को एक ही दिन में 47 मरीजों की पुष्टिï हुई है, जबकि 2 की मौत हो गई।
राजस्थान में स्वाइन फ्लू के कारण 28 अगस्त,2017 को मांडलगढ़ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी की मौत हो चुकी है। उपचार के दौरान जयपुर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। वहीं जालौर से पूर्व भाजपा विधायक अमृता मेघवाल को भी स्वाइन फ्लू हुआ था। तब विधानसभा का सत्र चल रहा था, ऐसे में यह मामला भी खूब गूंजा था।
चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने चिकित्सा अधिकारियों एवं चिकित्सा कर्मियों को स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। किसी व्यक्ति के पॉजिटिव पाए जाने पर तत्काल संपर्क में आए समस्त व्यक्तियों व आसपास रहने वालों की स्क्रीनिंग करने को भी कहा गया है। उन्होंने अपील की है कि स्वाइन फ्लू से घबराएं नहीं, बल्कि लक्षण प्रतीत होते ही चिकित्सकीय परामर्श लेकर उपचार शुरू करें।
मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों, जिला अस्पतालों एवं सब डिवीजनल अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों की जांच एवं उपचार के लिए अलग से आउटडोर की व्यवस्था की गई है। जिला अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए अलग से 20 से 25 बैड व आईसीयू वार्ड में वेन्टीलेटर्स आरक्षित किए गए हैं।