जयपुर ।(सत्य पारीक) राजस्थान भाजपा का फिलहाल भविष्य अधरझूल में है क्योंकि पिछले 10 दिनों से प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश की मुख्यमंत्री के बीच राजनीतिक गेंद बनी हुई है मुख्यमंत्री चाहती है उसे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश अध्यक्ष बनाना नहीं चाहते और जिसे वे प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं उसे मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं कर रही है , मुख्यमंत्री ने पूर्व की भांति धमकी देने की चाल चलना शुरू कर रखी है लेकिन अभी तक उनकी राजनीतिक चाल कामयाब नहीं हुई है । सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने मंत्रियों के माध्यम से यह संदेश भिजवाया है कि अगर उनकी पसंद का राज्य में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया तो पार्टी टूट भी सकती है? उल्लेखनीय है कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी का वजूद किसी समय स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के पर निर्भर हुआ करता था उनके बाद श्रीमती वसुंधरा राजे के साथ बंधा हुआ है
श्रीमती राजे ने राजस्थान की कमान संभालने के बाद अपने हाथ में टिकट बंटवारे से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार तक के सारे काम स्वयं के नेतृत्व में ले रखे हैं यहां तक की राज्य की लोकसभा की 25 सीट के उम्मीदवार भी वही तय करती है जिनके लिए भाजपा की राष्ट्रीय कमान से ज्यादा जरूरी मुख्यमंत्री वसुंधरा का स्वीकृति होना जरूरी है पिछले दिनों राजस्थान में जब दो लोकसभा और एक विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो तीनों में भाजपा के उम्मीदवार पराजित हो गए थे इसका ठीकरा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वसुंधरा की बजाय प्रदेश अध्यक्ष के माथे पर फोड़ा और उन से इस्तीफा ले लिया लेकिन नए अध्यक्ष का मनोनयन करना राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए खांडे की धार बना हुआ है क्योंकि राजे ने जो धमकी दे रखी है वह भाजपा के लिए खतरे से कम नहीं है
अगर राजस्थान में भाजपा का शासन बनाए रखना और लोकसभा की 25 सीटें जीतने की आशा तब तक ही बनी हुई है जब तक कि वसुंधरा राजे के हाथों में भाजपा की कमान है , ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यदि वसुंधरा के हाथों से कमान ली जाती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सत्ता में आना काफी सरल हो जाएगा क्योंकि भाजपा से बगावत करके एक तरफ वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपनी नई पार्टी बना रहे हैं जिसके कारण कुछ प्रतिशत ब्राह्मण वोट भाजपा से फिसल सकते हैं
और यदि वसुंधरा राजे पार्टी को छोड़ देती है तो कांग्रेस के सामने एक और सुविधा जनक विकल्प खड़ा हो जाएगा वह होगा वसुंधरा के नेतृत्व वाला नया राजनीतिक दल , जिस की संभावना इस कारण बनने लगी है की वसुंधरा की इच्छा के विरुद्ध राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने की तैयारी में जुटा हुआ है वसुंधरा की पहली धमकी जो उन्होंने डेढ़ दर्जन मंत्रियों को दिल्ली द भेज कर राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल को दिलाई थी वह सफल नहीं हो पाई है अब सुनने में आया है कि आगामी 26 तारीख को वसुंधरा स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने वाली हैं उससे पहले बामुश्किल ही तय हो पाएगा की प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी की नियुक्ति हो सके ।
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