जयपुर। चुनाव के मैदान में जारी सियासी घमासान के बीच सत्ता को बचाए रखने के लिए मशक्कत कर रही भाजपा अपने पूर्व के एक निर्णय से पीछे हटती नजर आ रही है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से जिलाध्यक्षों के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने संबंधी फरमान जारी होने के बाद अब पार्टी के दूसरे नेता उठते विरोध को देख तेवर नरम करने लगे हैं। राजस्थान चुनाव प्रभारी और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने चुनाव लड़ाने की गली निकालते हुए जिलाध्यक्षों को संकेत भी दे दिए हैं।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि जिलाध्यक्षों को चुनाव लडऩे से रोक लगाने संबंधी आदेश जारी होने के बाद से अंदरखाने जिलाध्यक्ष लामबंद होने लगे थे। कई जिलाध्यक्षों ने पद से इस्तीफा देते हुए चुनाव लडऩे का मन भी बना लिया था। इस संबंध में पार्टी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात करते हुए जिलाध्यक्षों ने अपनी बात रखी थी।
जिलाध्यक्षों की दबी जुबान में विरोध को देखते हुए पार्टी पदाधिकारी सतर्क हो गए। सूत्रों कहना है कि हाल में अजमेर में हुई पीएम नरेंद्र मोदी की सभा के बाद जिलाध्यक्षों की बैठक में यह मामला सामने आया था।
बैठक में जिलाध्यक्षों की बात सुनने और अंदरखाने विरोध की स्थिति को देखते हुए प्रकाश जाड़ेकर और संगठन महामंत्री रामलाल ने कहा कि जो जिलाध्यक्ष चुनाव जीतने वाले होंगे, उन्हें टिकट जरूर मिलेगा। इस बात के जरिए दोनों नेताओं ने जिलाध्यक्षों के विरोध को कम करने की कोशिश की।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में जिलाध्यक्षों के महत्व को देखते हुए ही पार्टी नेताओं ने ऐसा संकेत दिया है। उन्होंने बताया कि चुनाव के बीच नेताओं के दौरे से लेकर हर कार्यक्रम की तैयारी में जिलाध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। ऐसे में पार्टी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि जावड़ेकर ने जिताऊ को टिकट मिलने का आश्वासन दिया।
आपको बता दें कि प्रदेश में चुनाव प्रबंधन समिति की पहली बैठक के दौरान मौजूद शाह ने निर्देश दिेए थे कि किसी भी जिलाध्यक्ष को चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा। यदि कोई चुनाव लडऩा चाहता है तो उसे पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा, उसमें भी टिकट मिलने को लेकर कोई गांरटी नहीं हैं। इस आदेश के बाद से ही अंदरखाने सभी जिलाध्यक्ष विरोध कर रहे थे।