मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश से नजदीक भरतपुर जिले की राजनीति में हमेशा जमीन से जुड़े हुये नेताओं को जनता ने सिर आंखों पर बिठाया है, पैराशूट नेताओं को भरतपुर वाले चाय-पानी से ज्यादा पूछते नहीं, ये इस जिले की राजनीति की जमीनी सच्चाई है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. राज बहादुर सिंह, नटवर सिंह, पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, स्व. दिगंबर सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष स्व. यदुनाथ सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जगन्नाथ पहाड़िया, पूर्व विधायक स्व. आरपी शर्मा भरतपुर जिले के दिग्गज नेताओं के प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने जिले की राजनीति व विकास को नई पहचान दी।
लेकिन अब जिले में बड़े नेता के तौर पर विश्वेन्द्र सिंह के अलावा कोई दूसरा जनाधार वाला नेता नहीं हैं और भाजपा में एक भी ऐसा नेता नहीं है जिसके पास जिले में जनाधार हो, जिला अध्यक्ष शैलेष सिंह के पास जनाधार बनाने के लिये मौका तो है, लेकिन शायद वह संगठन व अपनी शक्ति को पहचान नहीं पा रहे हैं।
जिले में भाजपा की स्थिति ऐसी बनी हुई है, जैसे वहां कोई लगाम कसने व अनुशासन का डंडा चलाने वाला धणी-धोरी नहीं नहीं हो।
जिले के कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ नेताओं से मिले फीडबैक के आधार पर शैलेष सिंह की सियासी चाबी प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा के पास है, जो जिला अध्यक्ष के हर फैसले में टांग अडाते हैं, जिले की कार्यकारिणी में अपने कई खास रिश्तेदारों को भी पदों पर भी बिठा दिया, जो विधानसभा वार कई मीटिंग में प्रदेश नेतृत्व भी सवाल खड़े कर देते हैं, जिसके तथ्य भी मौजूद हैं।
शैलेष सिंह के पिता पूर्व मंत्री स्व. दिगंबर सिंह के शिष्य रहे भजनलाल शर्मा अब शैलेष सिंह को जिले में कार्यकर्ताओं की नजर में रबर स्टांप साबित करने में तुले हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जन्मदिन के अवसर पर जिले के कार्यक्रम की पर्दे के पीछे से पूरी फील्डिंग कर भजनलाल शैलेष को आगे कर खुद पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रचार करने चले गये, और संगठन की नजर में शैलेष आ गये।
जिले के सूत्र बताते हैं कि संगठन की नजर में खुद को पाक साफ दिखाने वाले भजनलाल भरतपुर से दिल्ली जाकर कई बार पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुके हैं, जिले में एक गुट भी तैयार कर लिया है, जिसके अघोषित मुखिया खुद भजनलाल हैं, जिसमें प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जवाहर बेढम, शिवानी दायमा, पूर्व सांसद बहादुर कोली, रामस्वरूप कोली, जिला महामंत्री भगवान दास शर्मा, ब्रजेश अग्रवाल इत्यादि लोगों को शामिल कर रखा है, जिले में गुप्त मीटिंग करते हैं, और 13 नंबर बंगला के आदेशों की गुपचुप तरीके से पालना करते हैं।
जिले के कार्यक्रमों की प्रमुख कार्यकर्ताओं तक सूचना तक भी नहीं जाती , ऐसी स्थिति जिला संगठन की बनी हुई है।
खुद भजनलाल की जमीनी पकड़ की बात करें तो ग्राफ एकदम नीचे है, 2003 में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नदबई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं, इन्हें मात्र 5925 वोट मिले थे, और अपनी ग्राम पंचायत से सरपंच का चुनाव भी हार चुके हैं। ऐसे में प्रदेश नेतृत्व को जरूरत है कि ओबीसी बाहुल्य इस जिले में पार्टी के किसी संघनिष्ठ व ओबीसी नेता को जिले का प्रभारी लगाया जाये, संभाग प्रभारी मुकेश दाधीज को संभाग के चारों जिलों में ग्राउंड पर कार्य करने की जरूरत है, जो मीणा, गुर्जर, एससी, जाट, राजपूत, माली, एससी, एवं अन्य ओबीसी बाहुल्य जातियों के प्रभुत्व का संभाग है।
प्रदेश नेतृत्व को जरूरत है कि मुकेश दाधीज को फ्री हैंड कर सहयोगी के तौर एक मजबूत संभाग सह-प्रभारी लगाकर भरतपुर में भजनलाल शर्मा के इंटयफेयर पर लगाम लगाई जाये, जिससे संगठन मजबूत हो सके।
जिले में नगर निकाय चुनाव में एक भी बोर्ड यहां भाजपा नहीं बना सकी, और 2018 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में हुये विधानसभा चुनावों में जिले की 7 सीटों पर भाजपा शून्य रही, एक भी सीट नहीं जीत सकी।
जिला अध्यक्ष शैलेष के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य पुराने व नये कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना आवश्यक है, युवाओं में पकड़ और सभी 7 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को बूथ एवं मंडलों पर मजबूत करने की रणनीति पर विशेष कार्य करने की जरूरत है।
पार्टी को सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर में भी सामाजिक संतुलन के हिसाब से दौसा सांसद जसकौर मीणा व राज्यसभा सांसद किरोडीलाल मीणा जैसे प्रमुख नेताओं के दौरे व सक्रिय करने की भी अभी से कदम उठाने की जरूरत है।