जयपुर/ राजस्थान में राजनीतिक गलियारे में और आमजन में यह माना जाता है कि मुस्लिम मतदाता हमेशा कांग्रेस का पक्ष कर रहा है और कांग्रेस जब-जब भी सत्ता में आई है उसे दलित मुस्लिम मतदाताओं का ही सहारा मिला है या इस युग
कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दलित और मुस्लिम मतदाताओं के माध्यम से ही कांग्रेस हमेशा राजस्थान में सत्ता में आई है और भाजपा के लिए यह माना जाता है कि वह हिंदुत्व वादी वाली पार्टी है और हिंदू वाटर के सहारे ही सत्ता हासिल करती है ।
लेकिन इस बार राजस्थान में अपने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अब दलित और मुस्लिम वोटो को बिखर ने या इसे यूं कहीं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कांग्रेस से पार्टनर के लिए रणनीति बनाई है और इस पर पार्टी ने काम करना भी शुरू कर दिया है ।
सूत्रों के अनुसार भाजपा ने इस नई रणनीति के तहत प्रदेश में मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं से परिपूर्ण अर्थात जहां मुस्लिम मतदाता चुनाव के नतीजे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ऐसी 40 विधानसभा चुनाव का चयन कर उसे पर काम करना शुरू कर दिया है और इस रणनीति के तहत भाजपा दरगाह ईदगाह और मुस्लिम कमेटियों से जुड़े हुए।
लोगों का राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजन करने की तैयारी भी कर ली है भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के अनुसार इस कार्यक्रम में भाजपा राजस्थान के हर जिले में कम से कम 100 मुस्लिम प्रबुद्ध लोगों को इस कार्यक्रम में बुलाया जाएगा ।
इसके अलावा भाजपा ने मुस्लिम बाहुल्य हर सीट पर एक 1000 मुस्लिम परिवारों को भाजपा से जोड़ने का काम इस रणनीति के तहत पहले ही शुरू कर दिया है और इसमें ज्यादातर केंद्र सरकार की लाभार्थी मुस्लिम महिलाएं समाज के बुद्धिजीवी और धर्मगुरु को शामिल किया गया है इनको पार्टी से जोड़कर यह 1000 लोग स्वयं के परिवार रिश्तेदारों के परिवारों के कम से कम 10-10 वोट भाजपा को को दिलाने का लक्ष्य इनको दिया गया है।
इस तरह भाजपा मान रही है कि इस तरह मुस्लिम बाहुल्य सीट पर मुस्लिम वर्ग से 10-10 वोट भाजपा को मिल जाते हैं तो कांग्रेस को हर सीट पर सीधे तौर पर 20000 वोटो का नुकसान होगा और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा तथा पिछले तीन सालों से जो चालान देखने को मिल रहा है ।
उसमें 30% से अधिक मुस्लिम मतदाता वाली इन 40 विधानसभा सीटों में अधिकांश पर जीत और हर का आंकड़ा 1000 वोटो से लेकर 20000 वोटो का ही रहता है।
भाजपा की मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का यह प्रयास और रणनीति कितनी कारगर साबित होगी यह तो चुनाव और मतदान तथा मतदान के बाद परिणाम के बाद ही नजर आएगा लेकिन भाजपा ने इस दिशा पर काम करना शुरू कर दिया है