जयपुर । लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान अगर कोई व्यक्ति अपने भूखंड के पट्टा लेना चाहता है तो उसे जून तक इतंजार करना होगा। क्योंकि निकाय आचार संहिता के दौरान नए आवेदनों पर निर्णय नहीं कर सकेगी। स्वायत्त शासन
निदेशालय ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए निकायों को कार्य करने के लिए कहा है।
आचार संहिता लगने के बाद निकायों ने सरकार से नए आवेदनों और जो वर्तमान में मामले पाइपलाइन में उन पर पट्टे जारी करने के लिए मार्ग दर्शन मांगा था। इस पर स्वायत्त शासन निदेशालय ने 11 बिंदुओं पर गाइडलाइन जारी करते हुए काम करने के निर्देश दिए हैं।
इसमें नए आवेदन करने वाले या जिन्होंने पहले आवेदन कर दिया है और पट्टे जारी करने की सक्षम स्तर से स्वीकृति जारी नहीं हुई है, ऐसे मामलों में निकाय आवेदक को पट्टे जारी नहीं करेगा।
पट्टे केवल उसी स्थिति में जारी किए जाएंगे, जब आवेदन पर समक्ष स्तर से पट्टा जारी करने की स्वीकृति आचार संहिता से पहले मिल चुकी हो और उसकी डिमांड राशि आवेदक जमा करवा चुका हो। ऐसे मामलों में पट्टे जारी किए जा सकेंगे।
आपको बता दें कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर समेत प्रदेश की अन्य निकायों में बड़ी संख्या में वे लोग चक्कर लगा रहे है, जिन्होंने आचार संहिता लगने से पहले पट्टे जारी करने के लिए आवेदन कर रखा है। इन लम्बित प्रकरणों को देखते हुए निकायों ने सरकार को पत्र लिखकर उन पर उचित कार्यवाही के लिए मार्गदर्शन मांगा था।
ये काम भी हो सकेंगे
जिन जमीनों का पट्टा आचार संहिता से पहले जारी हो चुका है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई हो और उन पट्टों की वैलेडिटी खत्म हो गई। ऐसे पट्टों की पुन: वैलेडिटी बढ़ाकर उनकी रजिस्ट्री हो सकेगी।
स्वीकृत कार्यों की लागत के आधार पर उन कार्यों को करवाने के लिए टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार किए जा सकते हैं।
पट्टों के नाम ट्रांसफर किए जा सकेंगे।
प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स की डीपीआर तैयार करवाने का काम शुरू किया जा सकता है।
पूर्व में स्वीकृत कार्य, जिनके वर्क ऑर्डर जारी करके काम आचार संहिता से पहले शुरू कर दिया है उनको जारी रखा जा सकता है।
कृषि भूमि के नियमन, निर्माण स्वीकृति, नामांतरण आदि की सक्षम स्तर पर आचार संहिता लगने से पहले स्वीकृति जारी हो गई और उनकी डिमांड राशि जमा हो गई हो तो उनके पट्टे जारी करने और स्वीकृति पत्र जारी करने का काम किया जा सकता है।