Jaipur । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) की पहल पर राजस्थान दिवस (Rajasthan Divas) के अवसर पर प्रदेश की जेलों में लम्बे समय से सजा भुगत रहे करीब बारह सौ बंदियों (Twelve hundred detainees) को समय से पहले रिहा किया जाएगा। ये कैदी अप्रैल से घरों में अपने परिजनों के बीच खुशियां (Happiness) बांटेंगे। जेलों से जिन कैदियों को आजाद किया जा रहा हैं, उनमें अच्छे व्यवहार (Good behavior) से अपनी अधिकांश सजा भुगत चुके अथवा गंभीर बीमारियों से ग्रसित एवं वृद्ध बंदियों को शामिल किया गया हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने यह फैसला मुख्यमंत्री निवास पर जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में किया। बैठक में बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आम्र्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गौवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को जेलों से आजाद करने पर किसी तरह का निर्णय नहीं किया गया।
बैठक में साफ कर दिया गया कि वृद्ध एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित कैदियों को इसलिए रिहा किया जा रहा है, ताकि वे कोरोना के संक्रमण के खतरे से बच सकें। इस निर्णय से ऐसे बंदी जो कैंसर, एडस, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित अथवा दृष्टिहीन हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर है, उन्हें रिहा किया जा सकेगा। अपराध में दण्डित 70 वर्ष के वृद्ध पुरुष तथा 65 वर्ष या इससे अधिक आयु वाली महिलाओं को सजा का एक तिहाई भाग भुगतने के बाद रिहाई मिलेगी।
महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने बताया कि समय पूर्व रिहाई पाने वाले ऐसे कैदियों की संख्या सबसे अधिक है, जो आजीवन कारावास से दण्डित हैं और जिन्होंने 14 वर्ष की सजा भुगत कर ढाई वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है। ऐसे बंदियों को वर्तमान में स्थायी पैरोल पर होने की स्थिति में ही रिहा किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री की इस पहल से ऐसे परिवारों को खुशियां मिलेंगी, जिनके परिजन आजीवन कारावास की सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, शासन सचिव गृह एनएल मीणा तथा महानिरीक्षक जेल विक्रम सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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