जयपुर। विभिन्न मुद्दों को लेकर राज्य सरकार व बीजेपी से नाराज चल रहे राजपूत समाज के एक खेमे को चुनाव से पहले मनाने के सरकार के स्तर पर हो रहे प्रयासों में अब तेजी आ गई है। इसी कड़ी के तहत आनंदपाल एनकाउंटर के बाद हुए आंदोलन में राजपूत समाज के लोगों के खिलाफ दर्ज सात केस सरकार वापस लेने की तैयारी कर रही है।
राज्य के गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय से दर्ज प्रकरणों की रिपोर्ट तलब की है। इस सिलसिले में मंगलवार को विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह ने डीजीपी ओपी गल्होत्रा के आवास पर अहम बैठक की थी। बैठक में आंदोलन के दौरान राजपूत समाज के लोगों पर दर्ज केसों पर मंथन हुआ था। बैठक में एडीजी क्राइम और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शैलेंद्र अग्रवाल भी मौजूद रहे।
बैठक में सहमति बनी कि जिन प्रकरणों में एफआर नहीं लगाई गई है, उन्हें वापस लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई, 2018 को राज्य सरकार और राजपूत नेताओं के बीच समझौता हुआ था। उसमें राजपूत समाज के लोगों पर दर्ज 21 प्रकरणों में से 13 केस वापस लिए जाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद ही सरकार के खिलाफ लगातार बोलने वाले करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी और राजपूत सभा जयपुर के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा की बयानबाजी कम हुई थी।
राजपूतों को बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है
आनंदपाल एनकाउंटर के बाद सांवराद में हुए उपद्रव के दौरान राजपूत समाज के लोगों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने मारपीट और आगजनी के केस दर्ज किए गए थे। आनंदपाल मामले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। दरअसल, राजपूतों को बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है। इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में ना भुगतना पड़े इसके लिए भाजपा सरकार लगातार राजपूतों को मनाने की कोशिश में लगी हुई है।