जयपुर। छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत करने वाले छात्र नेता अब राजनीति की मुख्य धारा में कदम रखने जा रहे हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रों की समस्याओं को उठाने वाले युवा अब विधानसभा चुनावों में पार्टियों के आगे अपनी दावेदारी जता रहे हैं। यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ में साल 2010 के बाद से छात्रसंघ अध्यक्ष और महासचिव बनने वाले छात्रनेताओं की विधायक बनने की ख्वाहिश हैं, इन युवा नेताओं ने प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में अपनी सियासी जमीन तलाशकर उम्रदराज नेताओं की तो मुश्किलें तो बढ़ाई है।
इसके लिए एक दर्जन से अधिक दावेदार तो मैदान में हैं और इससे अधिक अपने पसंदीदा नेता के साथ टिकट की जुगत में लगें है। इसमें मनीष यादव (कांग्रेस) शाहपुरा,नरसी किराड़(कांग्रेस)कठूमर,प्रभा चौधरी(कांग्रेस)बायतू, अमित शर्मा (भाजपा) सांगानेर, राजेश मीना (भाजपा) जमवारामगढ़, ललित यादव (कांग्रेस)मुंडावर,कनाराम जाट (भाजपा)मालपुरा,अभिमन्यु पूनिया(कांग्रेस)संगरिया,अनिल चौपड़ा(कांग्रेस)सांगानेर,अंकित धायल झुंझुनूं,
पवन यादव मुंडावर और मानवेन्द्र बुड़ानिया तारानगर से टिकट मांग रहें है।
बता दें कि आरयू छात्रसंघ का प्रदेश की राजनीति में मजबूत दबदबा रहा है।
चुनावी घमासान के बीच दोनों राजनीतिक दल जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में हैं। इसके लिए प्रत्याशियों की खोजबीन भी जोर-शोर पर की जा रही हैं। ऐसे में प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में राजनीति का पाठ पढ़ने के बाद युवा नेता भी उनके सामने बतौर विकल्प अपनी दस्तक दे चुके हैं, जिन्हें उम्मीद है कि युवा होने के साथ-साथ सियासी समझ होने के फायदा भी उन्हें जरूर मिल सकेगा।