जयपुर। राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग दरकिनार किए जाने के बाद केन्द्र सरकार ने अब भीलवाड़ा में मेमू रेल कोच फैक्टरी लगाने से साफ इनकार किया है। इसके साथ ही जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल परियोजना को भी वित्तीय रूप से गैर जरूरी और गैर वाजिब ठहराकर उस पर काम शुरू करने से मना कर दिया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य पीपी चौधरी और अर्जुनलाल मीणा के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि कोच फैक्टरी रेलवे की ओवरऑल जरूरतों के हिसाब से स्थापित की जाती है। मौजूदा रेल कोच फैक्टरियों की पिछले कुछ सालों में उत्पादकता और उत्पादन क्षमता बढ़ने के बाद वर्तमान में भीलवाड़ा में अतिरिक्त कोच प्रोडक्शन यूनिट की कोई आवश्यकता नहीं है। पीपी चौधरी राजस्थान के पाली लोकसभा क्षेत्र और अर्जुनलाल मीणा उदयपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
रेल मंत्री ने बताया कि जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल परियोजना गैर जरूरी है। जैसलमेर और बाड़मेर पहले से ही ब्रॉडगैज लाइन से कांडला पोर्ट से जुड़े हुए हैं। जैसलमेर से बाड़मेर और बाड़मेर से भाभर तक 2012-13 में सर्वे पूरा हो चुका है। इन शहरों में पहले से कनेक्टिविटी होने और अन्य कारणों से इस परियोजना को हाथ में नहीं लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के तत्कालीन रेल मंत्री डॉ. सीपी जोशी ने 22 सितंबर 2013 को भीलवाड़ा के रूपाहेली में मेमू कोच फैक्टरी (मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट कोच फैक्टरी) का शिलान्यास यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से करवाया था।
25 फरवरी 2013 को फैक्टरी की स्थापना के लिए रेलवे और बीएचईएल के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए। 21 सितंबर 2013 को रेल मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एमओयू हो गया। मेमू कोच फैक्टरी की रूपाहेली में 22 सितंबर 2013 को नींव रखी गई। 2013-14 के बजट में इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। रेलवे कोच फैक्टरी के लिए राज्य सरकार ने रूपाहेली में 1292.14 बीघा जमीन आवंटित की थी।