Jaipur News। नगर निगम ग्रेटर के आयुक्त के साथ मारपीट मेयर सौम्या गुर्जर को बहुत भारी पड गई अब मेयर सौम्या के निलंबन मामले में हाईकोर्ट के फैसले से भी सौम्या गुर्जर और भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सौम्या के निलंबन को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार ने जो न्यायिक जांच करवाई है, उसे 6 माह में पूरा कर अवगत कराने के सोमवार को फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिए है।
जस्टिस चंद्र कुमार सोनगरा और पंकज भंडारी की बेंच ने सोमवार को ये फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से एक दिन पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमे में हलचल मची रही। वहीं सरकार के खिलाफ सौम्या गुर्जर का ये दूसरा केस है। इससे पहले उन्होंने फरवरी में समितियों के प्रस्ताव को रद्द करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, तब उन्हें इस मामले में जीत मिली थी।
ग्रेटर की कार्यवाहक मेयर शील धाभाई ने रविवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, विधायक कालीचरण सराफ सहित अन्य नेताओं से मुलाकात की और अपना पक्ष भी रखा। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए धाभाई ने कहा कि कोर्ट का जो फैसला आएगा वह सर्वमान्य होगा। उसके बाद पार्टी जो भी निर्देश देगी उसके अनुरूप वह अपना काम करेगी।
आयुक्त से हुई की मारपीट
विदित है कि 4 जून को नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में सौम्या गुर्जर के चैम्बर में आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के साथ हुए विवाद के बाद ये पूरा बखेड़ा खड़ा हुआ था।
आयुक्त ने अपने संग मारपीट और बदसलूकी होने का आरोप लगाते हुए सरकार स्तर पर शिकायत की थी। जिसके बाद सरकार ने एक आरएएस अफसर से मामले की जांच करवाने के बाद दूसरे दिन यानी 6 जून को मेयर को निलंबित करते हुए उसके साथ 3 अन्य पार्षदों की भी सदस्यता निलंबित कर दी थी। सरकार के इसी निर्णय को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।