विधानसभा के रण की तैयारी में बडे अधिकारी, बना रहे राजनीतिक छवि

liyaquat Ali
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जयपुर। प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव की जंग में कई नौकरशाह भी मैदान में उतरने की तैयारी में लग गए हैं। प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा रिटायर आईएएस और आईपीएस अफसरों के साथ ही अन्य सेवाओं के अधिकारी भी सियासी पारी शुरू करने को लेकर जोर आजमाइश में जुटे हैं।

राज्य में अफसरों के चुनाव जीत कर विधायक और सांसद बनने की पुरानी परंपरा है और इस बार भी तय माना जा रहा है कि कई अफसर अपनी किस्मत आजमाएंगे। प्रदेश के दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस चुनावों में नौकरशाहों पर हमेशा दावं खेलते हैं। भाजपा की तरफ से केंद्र में तीन मंत्री तो सरकारी सेवा में रहे है। इनमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल तो आईएएस और सीआर चौधरी आरएएस अधिकारी रहे है। केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर सेना में कर्नल रहे है।

इनके अलावा दौसा से सांसद हरीश मीणा आईपीएस अधिकारी रहे हैं। मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के दौरान ही भीलवाड़ा जिले में पूर्व आईएएस अफसर शिवजीराम ने पार्टी की सदस्यता ली है। प्रदेश में विधानसभाा चुनाव के लिहाज से यह तय माना जा रहा है कि करीब एक दर्जन से ज्यादा पूर्व अधिकारी दोनों दलों से उम्मीदवारी हासिल करेंगे।

इसके अलावा बसपा और अन्य दल भी कई पूर्व अधिकारियों को चुनाव लडने के लिए तैयार कर रही है। कांग्रेस में पिछले दिनों कई रिटायर अफसर शामिल हुए है। रिटायर अफसरों में हबीब खां गौरान, रामदेव सिंह, मदन गोपाल, अशफाक हुसैन, एल सी असवाल, बी एल मीणा, हरसहाय मीणा की दावेदारी सामने आने लगी है। इसके अलावा रेलवे से रिटायर इंजीनियर  मुश्ताक अहमद ने अलवर जिले की तिजारा सीट से दावेदारी पेश की है। कांग्रेस के साथ ही भाजपा में भी करीब आधा दर्जन से ज्यादा रिटायर अफसर अपनी दावेदारी पेश कर चुके है।

फायदे का सौदा रहा 

प्रदेश में अफसरों को चुनाव लड़ाना कई बार राजनीतिक दलों के लिए फायदे का सौदा रहा है। इस बार रिटायर अफसरों का रूझान भाजपा के बजाये कांग्रेस की तरफ ज्यादा दिखाई दे रहा है। रिटायर अफसरों की दावेदारी सामने आने से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में असंतोष भी सामने आने लगा है। विधानसभा की जिन सीटों पर अफसरों की दावेदारी सामने आ रही है, उन इलाकों के  पार्टी कार्यकर्ता इसका विरोध भी करने लगे है। उनका कहना है कि जमीनी स्तर पर तो वो काम करते है और जब चुनाव लडऩे का मौका मिलता है तब अफसर आ धमकते हैं। पार्टी को इस बारे में यह फैसला करना चाहिए कि सीधे ही नौकरी त्याग कर आने वालों को पहले संगठन में काम कराना चाहिए और उसके बाद ही चुनाव लड़ाना चाहिए।

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