जयपुर। विधानसभा चुनाव के चलते राजनीतिक दलों में टिकट और प्रत्याशियों को लेकर उठापटक का दौर के बीच सत्तारूढ़ भाजपा की परेशानियां बढ़ गई है। परेशानी पार्टी की ओर से कराए गए अंदरुनी सर्वे को लेकर है। सर्वे में मौजूदा कई विधायकों की परफोरमेंस पर सवाल खड़े हुए हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में इन मौजूदा विधायक के टिकट पर तलवार भी लटकी है। हालांकि पूरी रिपोर्ट सामने नहीं आई है लेकिन उसका आभास भाजपा से जुड़े बड़े नेताओं के बयानों में साफ तौर पर दिखने लगा लगा है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी का मौजूदा बयान भी कुछ इसी ओर इशारा करता है। सैनी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि इस बार ज्यादा से ज्यादा युवा और नए चेहरों को टिकट मिले। वहीं महिलाओं का भी इस बार प्रतिनिधित्व बढ़े, इसी दिशा में काम करते हुए पार्टी टिकट का वितरण करेगी।
सैनी से जब पूछा गया कि क्या पार्टी का सर्वे पूरा हो चुका है तो सैनी ने कहा सर्वे का काम तो निरंतर चलता रहता है और सर्वे में कौन पास हुआ कौन फेल हुआ यह भी पार्टी ही तय करेगी। सैनी के अनुसार हर एक विधायक खुद का काम सबसे बेहतर बताता है लेकिन पार्टी की परीक्षा में वह पास हुआ या फेल,फिर इसका निर्णय बीजेपी का पार्लियामेंट्री बोर्ड ही करेगा और तभी उसे वापस जनता के बीच परीक्षा के लिए भेजा जाएगा। सैनी का नए व युवा चेहरों को अधिक से अधिक टिकट देने संबंधी बयान के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं ।
80 से ज्यादा विधायकों की प्रोफाइल खराब
बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर जो सर्वे कराया गया है उसकी रिपोर्ट में 80 से 100 मौजूदा विधायकों की प्रोफाइल खराब बताई गई है इनमें कई उम्र दराज मंत्री भी शामिल है। राज्य मंत्रिमंडल की बात करें तो गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया और जनजाति विकास मंत्री नंदलाल मीणा और शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी सहित मंत्री अमराराम और रामप्रताप 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं ।
इन विधायकों में अधिकतर 5 बार और से अधिक विधायक रह चुके हैं। ऐसे में एंटी इनकंबेंसी इन जनप्रतिनिधियों के खिलाफ खड़ी है और भाजपा के सर्वे में भी यह बात सामने आयी है। वही कार्यकर्ता भी 65 से 70 साल की उम्र होने पर भी भाजपा कार्यालय टिकट की मांग को लेकर पहुंच रहे हैं। उनका मानना है कि एक बार मौका दिया जाए।